Again king bhoj tries to sit on the singhasan. third statue name Chandrakala comes out and told the story of veer vikram aditya. It was difficult at the time to dare and fortune who is bigger ? Dare say anything that is not possible without the hard luck is believed that the fate which meets . There is no role for labor . Their dispute as assumed so fierce that both had to go to Devraj Indra .
राजा भोज फिरसे सिंघासन पर बैठने कि कोशिश करते है, तीसरी पुतली चन्द्रकला बहार अति है और वीर विक्रम आदित्य कि कहानी सुनाती है. एक बार पुरुषार्थ और भाग्य में इस बात पर ठन गई कि कौन बड़ा है? पुरुषार्थ कहता कि बगैर मेहनत के कुछ भी संभव नहीं है जबकि भाग्य का मानना था कि जिसको जो भी मिलता है भाग्य से मिलता है। परिश्रम की कोई भूमिका नहीं होती है। उनके विवाद ने ऐसा उग्र रूप ग्रहण कर लिया कि दोनों को देवराज इन्द्र के पास जाना पड़ा।
राजा भोज फिरसे सिंघासन पर बैठने कि कोशिश करते है, तीसरी पुतली चन्द्रकला बहार अति है और वीर विक्रम आदित्य कि कहानी सुनाती है. एक बार पुरुषार्थ और भाग्य में इस बात पर ठन गई कि कौन बड़ा है? पुरुषार्थ कहता कि बगैर मेहनत के कुछ भी संभव नहीं है जबकि भाग्य का मानना था कि जिसको जो भी मिलता है भाग्य से मिलता है। परिश्रम की कोई भूमिका नहीं होती है। उनके विवाद ने ऐसा उग्र रूप ग्रहण कर लिया कि दोनों को देवराज इन्द्र के पास जाना पड़ा।
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