Akbar was the Mughal King and Birbal was the (Wazir-e Azam) of the Mughal court in the administration of the Mughal emperor Akbar. He was one of his most trusted members along with being a part of Akbar's inner council of nine advisors, known as the navaratna, a Sanskrit word meaning nine jewels. Birbal was one of only a few persons other than Akbar that were Din-i-Ilahi believers.
Birbal's duties in Akbar's court were mostly military and administrative, but he was also a very close friend of the emperor, who appreciated Birbal for his wit and wisdom, often involving humorous exchanges. These and other stories have become part of a rich tradition of folklore and legend.
So here check out one story "The Linguist"
शहेंशाह अगबर और राजा बीरबल अक्सर भेस बदलकर अपने सल्तनत का मुवायना करते थे । एक दीन वो शहर के बाजारसे गुजर रहे थे तभी एक व्यापारी के पास शहेंशाह ने एक कालीन देखा । वो बहुत खूबसूरत था। शहेंशाह को वो पसन्द आया । वे दोनों उस व्यापारी के पास उस कालीन का दाम पूछने गए । दम पूछते ही वो व्यापारी कुछ अलग ही भाषा मैं बोलने लगा जो शहेंशाह अगबर और राजा बीरबल को समज ही नहीं आरही थी। वे दोनों वहासे चले गए । शहेंशाह को अजीब लगता हैं कि वो अपने सल्तनत मैं रहनेवाले लोगोंकी भाषा ही समज नहीं पारहे हैं । इसबात केलिए राजा बीरबल शहेंशाह को एक सुजाव देते हैं कि क्योंना हम ऐसे एक आदमी को दरबार मैं रखे जो कइ जुबान बोलता हो और आपने राज्य कि शाही दुभाषा भी बनाले ।
शहेंशाह को बीरबल का सुजाव पसंद आता हैं । इसलिए वे ऐसे एक आदमी को दरबार मैं नियुक्त करने का फैसला करते है कइ भाषायों का जानकर हो । ऐसे आदमी को ढूडने का काम शहेंशाह सुकदेवसिंग को देते हैं । सुकदेवसिंग राज्य का सबसे बहेतरीन बहुभाष्य ढूंड के लाते हैं । उसका नाम बहारी था । वो दस अलग अलग भाषा जनता था । शहेंशाह उसे अपनी मातृ भाषा पूछते हैं । वो कहता हैं कि जहाँपना आपके दरबार मैं काफ़ी ग्यानी लोग मौजूद हैं और क्यों कि आदमी कि जबान उसकी असली पहेचान हैं । क्या इस दरबार मैं आपके सवाल का जवाब दे सकता हैं । इस बात पे शहेंशाह बहारी कि मातृ भाषा जानने केलिए अपने मंत्रियों को अपनी अपनी भाषा मैं सवाल पूछने को कहते हैं । उन सभी भाषायों के जवाब बहारी अछी तरह से देता हैं । पर फिरभी बहारी कि मातृ भाषा कोइ जान नहीं पाता हैं । इसलिए शहेंशाह राजा बीरबल को बहारी कि मातृ भाषा पता लगाने को कहते हैं ।
अब बीरबल हारी कि मातृ भाषा कैसे पता लगाता हैं ये जानने केलिए ये वीडियो देखे ।
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शहेंशाह अगबर और राजा बीरबल अक्सर भेस बदलकर अपने सल्तनत का मुवायना करते थे । एक दीन वो शहर के बाजारसे गुजर रहे थे तभी एक व्यापारी के पास शहेंशाह ने एक कालीन देखा । वो बहुत खूबसूरत था। शहेंशाह को वो पसन्द आया । वे दोनों उस व्यापारी के पास उस कालीन का दाम पूछने गए । दम पूछते ही वो व्यापारी कुछ अलग ही भाषा मैं बोलने लगा जो शहेंशाह अगबर और राजा बीरबल को समज ही नहीं आरही थी। वे दोनों वहासे चले गए । शहेंशाह को अजीब लगता हैं कि वो अपने सल्तनत मैं रहनेवाले लोगोंकी भाषा ही समज नहीं पारहे हैं । इसबात केलिए राजा बीरबल शहेंशाह को एक सुजाव देते हैं कि क्योंना हम ऐसे एक आदमी को दरबार मैं रखे जो कइ जुबान बोलता हो और आपने राज्य कि शाही दुभाषा भी बनाले ।
शहेंशाह को बीरबल का सुजाव पसंद आता हैं । इसलिए वे ऐसे एक आदमी को दरबार मैं नियुक्त करने का फैसला करते है कइ भाषायों का जानकर हो । ऐसे आदमी को ढूडने का काम शहेंशाह सुकदेवसिंग को देते हैं । सुकदेवसिंग राज्य का सबसे बहेतरीन बहुभाष्य ढूंड के लाते हैं । उसका नाम बहारी था । वो दस अलग अलग भाषा जनता था । शहेंशाह उसे अपनी मातृ भाषा पूछते हैं । वो कहता हैं कि जहाँपना आपके दरबार मैं काफ़ी ग्यानी लोग मौजूद हैं और क्यों कि आदमी कि जबान उसकी असली पहेचान हैं । क्या इस दरबार मैं आपके सवाल का जवाब दे सकता हैं । इस बात पे शहेंशाह बहारी कि मातृ भाषा जानने केलिए अपने मंत्रियों को अपनी अपनी भाषा मैं सवाल पूछने को कहते हैं । उन सभी भाषायों के जवाब बहारी अछी तरह से देता हैं । पर फिरभी बहारी कि मातृ भाषा कोइ जान नहीं पाता हैं । इसलिए शहेंशाह राजा बीरबल को बहारी कि मातृ भाषा पता लगाने को कहते हैं ।
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