Happy Janmashtami | Krishna Janmashtami 2015 Special | HD Video | Rajasthani
- 8 years ago
श्रीकृष्ण जन्माष्टमी’ हिंदूओ का एक प्रसिद्ध त्यौहार है।
यह त्योहार हिन्दू कैलेंडर के अनुसार भाद्रपद माह के कृष्णा पक्ष की अष्टमी को मनाया जाता है।इसे भगवान श्री कृष्ण के जन्मदिन के रूप में मनाते है।
जन्माष्टमी को गोकुलाष्टमी, कृष्णाष्टमी, श्री जयंती के नाम से भी जाना जाता है। महाराष्ट्र में जन्माष्टमीदही हांडी के नाम से विख्यात है।
श्रीकृष्ण देवकी और वासुदेव के आठवें पुत्र थे। देवकी के पिता राजा अग्रसेन मथुरा के राजा थे। देवकी का भाई कंस अपने पिता अग्रसेन को कारागार की काल कोठारी में बंद कर स्वयं मथुरा के सिहांसन पर बैठ गया। देवकी के आठवें पुत्र के हाथों अपनी मौत की भविष्यवाणी सुन कर कंस ने देवकी और वासुदेव को भी कारागार में बंद कर दिया। कंस ने देवकी की पहले छह बच्चों को मार डाला और सातवें बच्चे की भी गर्भपात से मृत्यु हो गयी। जेल की काल कोठारी में श्रीकृष्ण ने देवकी के आठवें पुत्र के रूप में जन्म लिया। भगवान विष्णु ने वासुदेव को आदेश दिया कि वह श्रीकृष्ण को गोकुल में यशोदा और नन्द के पास पहुंचा आये जहाँ वह अपने मामा कंस से सुरक्षित रह सके। भगवन विष्णु की कृपा से वासुदेव श्रीकृष्ण को यशोदा के पास सुलाकर, यशोदा की पुत्री जिसने उसी वक्त जन्म लिया था, को अपने साथ ले आये। कंस ने उस कन्या को देवकी की आठवीं संतान समझकर मार डालना चाहा पर वह सफल नहीं हो सका। श्रीकृष्ण का पालन-पोषण यशोदा और नन्द की देखरेख में हुआ। जब श्रीकृष्ण बड़े हुए तो उन्होंने अपने मामा कंस का वध कर अपने माता-पिता को उनके चंगुल से मुक्त कराया।
जन्माष्टमी पर कृष्ण मंदिरों में भव्य समारोह किए जाते हैं। समपूर्ण भारत में जगह जगह श्रीकृष्ण की झांकियां सजाई जाती हैं तथा रास लीला का आयोजन किया जाता है। मथुरा और वृंदावन जहाँ भगवान श्रीकृष्ण ने अपना बचपन बिताया था वहाँ की जन्माष्टमी विश्व प्रसिद्ध है। जन्माष्टमी के दिन लोग
दिन भर व्रत करते है तथा आधी रात में भगवान श्रीकृष्ण के जन्मोत्सव को मनाकर व्रत तोड़ते हैं। सभी जगह कीर्तन एवं भोजन का आयोजन किया जाता है।
यह त्योहार हिन्दू कैलेंडर के अनुसार भाद्रपद माह के कृष्णा पक्ष की अष्टमी को मनाया जाता है।इसे भगवान श्री कृष्ण के जन्मदिन के रूप में मनाते है।
जन्माष्टमी को गोकुलाष्टमी, कृष्णाष्टमी, श्री जयंती के नाम से भी जाना जाता है। महाराष्ट्र में जन्माष्टमीदही हांडी के नाम से विख्यात है।
श्रीकृष्ण देवकी और वासुदेव के आठवें पुत्र थे। देवकी के पिता राजा अग्रसेन मथुरा के राजा थे। देवकी का भाई कंस अपने पिता अग्रसेन को कारागार की काल कोठारी में बंद कर स्वयं मथुरा के सिहांसन पर बैठ गया। देवकी के आठवें पुत्र के हाथों अपनी मौत की भविष्यवाणी सुन कर कंस ने देवकी और वासुदेव को भी कारागार में बंद कर दिया। कंस ने देवकी की पहले छह बच्चों को मार डाला और सातवें बच्चे की भी गर्भपात से मृत्यु हो गयी। जेल की काल कोठारी में श्रीकृष्ण ने देवकी के आठवें पुत्र के रूप में जन्म लिया। भगवान विष्णु ने वासुदेव को आदेश दिया कि वह श्रीकृष्ण को गोकुल में यशोदा और नन्द के पास पहुंचा आये जहाँ वह अपने मामा कंस से सुरक्षित रह सके। भगवन विष्णु की कृपा से वासुदेव श्रीकृष्ण को यशोदा के पास सुलाकर, यशोदा की पुत्री जिसने उसी वक्त जन्म लिया था, को अपने साथ ले आये। कंस ने उस कन्या को देवकी की आठवीं संतान समझकर मार डालना चाहा पर वह सफल नहीं हो सका। श्रीकृष्ण का पालन-पोषण यशोदा और नन्द की देखरेख में हुआ। जब श्रीकृष्ण बड़े हुए तो उन्होंने अपने मामा कंस का वध कर अपने माता-पिता को उनके चंगुल से मुक्त कराया।
जन्माष्टमी पर कृष्ण मंदिरों में भव्य समारोह किए जाते हैं। समपूर्ण भारत में जगह जगह श्रीकृष्ण की झांकियां सजाई जाती हैं तथा रास लीला का आयोजन किया जाता है। मथुरा और वृंदावन जहाँ भगवान श्रीकृष्ण ने अपना बचपन बिताया था वहाँ की जन्माष्टमी विश्व प्रसिद्ध है। जन्माष्टमी के दिन लोग
दिन भर व्रत करते है तथा आधी रात में भगवान श्रीकृष्ण के जन्मोत्सव को मनाकर व्रत तोड़ते हैं। सभी जगह कीर्तन एवं भोजन का आयोजन किया जाता है।
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