कुछ इस तरह हुआ था महानायक रावण का जन्म !
पौराणिक ग्रंथों में रामायण का अत्यंत महत्व है. इस ग्रंथ में भगवान राम, देवी सीता, लक्ष्मण जी और पवन पुत्र हनुमान के अलावा रावण का अहम पात्र है. अगर रावण नहीं होता तो इस पूरे ग्रंथ का निर्माण ही नहीं होता इसलिए इसमें रावण का विशेष महत्व है. सभी जानते हैं कि रावण सोने की लंका का राजा था और उसे अपनी शक्तियों पर इतना गुमान था कि उसने श्रीराम में ईश्वरीय शक्तियों को भी नहीं पहचाना. रावण के दस सिर थे और इसलिए उसे दशानन के नाम से भी जाना जाता है.
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