फिरोज शाह कोटला एक किला है, जिसे 1360 में फिरोज शाह तुगलक ने बनवाया था, उस समय उन्होने दिल्ली के पांचवे शहर की स्थापना की थी। किले के अवशेषों के साथ - साथ जामा मस्जिद और अशोक स्तम्भ के बचे अवशेष भी फिरोजाबाद में स्थित हैं। फिरोज शाह कोटला, यमुना नदी के तट पर स्थित है। यह जगह ज्यादातर अशोक के स्तंभ के कारण प्रसिद्ध है जो तीन मंजिला संरचना है। कहा जाता है कि इस 13 मीटर ऊंचे खंभे को फिरोज शाह कोटला के द्वारा मेरठ से लाया गया था, जिसे सम्राट अशोक ने बनवाया था। इस खंभे का मुख्य उद्देश्य अशोक के अन्य स्तंभों की तरह जनता के बीच बौद्ध धर्म का प्रचार प्रसार करना है। हालांकि यह स्तंभ बलुआ पत्थर का बना हुआ है, लेकिन देखने में यह धातु जैसा लगता है और दोपहर को सूरज की किरणों के पड़ने पर चमकता है। यह समय फिरोज शाह कोटला को घूमने का सबसे अच्छा समय है। इसके निकट स्थित अन्य आकर्षण जामा मस्जिद और राज घाट हैं। भारत की आजादी प्राप्त करने से पहले इस राजधानी शहर में कई ऑडीटोरियम यानि सभागार नहीं थे। उस दौरान, अधिकाशत: संगीत के कार्यक्रम और अन्य कला शो, फिरोज शाह कोटला के या फिर कुतुब परिसर में हुआ करते थे। फिरोज शाह कोटला के नजदीक अन्य भ्रमण लायक स्थल प्रगति मैदान, राजघाट और चांदनी चौक हैं
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