108 बार स्मरण - मैं दिव्य बुद्धिमान आत्मा हूँ || स्वमान || Meditation: Recitation

  • 6 years ago
हम सभी इंसान परमात्मा की संतान हैं। जैसा पिता का रूप होता हैं वैसा ही संतान का रूप होता हैं। इससे स्पष्ट हैं की परमात्मा का अर्थ परम + आत्मा और उसकी संतान यानी कि हम सभी आत्मा हैं। हम इस शरीर में आते हैं अपना पार्ट निभाने।

Method (विधि): इसका अभ्यास हम एक जगह बैठकर या रुककर करना चाहिए। अभ्यास तो चलते-फिरते भी कर सकते हैं लेकिन हमे यह कोशिश करनी है की जो हम स्वमान 108 बार दोहरा रहे हैं वो हमे अनुभव करते हुए दोहराना हैं, तभी इसका प्रभाव जल्दी से होगा। हमें एक स्थान पर बैठना हैं और अनुभव या महसूस करना हैं कि... मैं आत्मा हूँ जोकि इस शरीर में रहती हूँ, मैं परम पिता की संतान हूँ और फिर... 108 बार दोहराना हैं या जाप करना हैं कि...
"मैं दिव्य बुद्धिमान आत्मा हूँ"

इसमें एक बात ध्यान देने वाली हैं कि केवल हमें दोहराना या जाप करना ही नहीं हैं, बल्कि हर बार जब हम बोले कि - मैं दिव्य बुद्धिमान आत्मा हूँ - हमें महसूस या अनुभव भी करना हैं ।

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