जिन्ना को पहला पीएम बनाना चाहते थे महात्मा गांधी, नेहरू के आत्मकेंद्रित रवैये के चलते हुआ बंटवारा
- 6 years ago
Mahatma Gandhi wanted Jinnah as PM, but Nehru refused: Dalai Lama
पणजी। तिब्बतियों के अध्यात्मिक धर्मगुरु दलाई लामा ने दावा किया है कि जवाहरलाल नेहरू का 'आत्म केंद्रित रवैया' अपनाया। वह देश के पहले प्रधानमंत्री बनना चाहते थे, जबकि महात्मा गांधी भी यह चाहते थे कि मोहम्मद अली को पीएम बनाया जाए। दलाई लामा ने दावा किया कि अगर महात्मा गांधी की जिन्ना को पहला प्रधानमंत्री बनाने की इच्छा को अमल में लाया जाता तो देश का बंटवारा नहीं होता। दलाई लामा ने यह बात
गोवा इंस्टीट्यूट ऑफ मैनेजमेंट के एक कार्यक्रम में कही।
एक छात्र ने जब सही फैसला लेने के बारे में दलाई लामा से प्रश्न पूछा तो उन्होंने जवाब दिया कि
लोकतांत्रिक प्रणाली बहुत अच्छी होती है। सामंती व्यवस्था में कुछ लोगों के हाथों में निर्णय लेने की शक्ति होती है, जो खतरनाक है। दलाई लामा ने आगे कहा, 'भारत की तरफ देखिए। मुझे लगता है कि महात्मा गांधी, जिन्ना को प्रधानमंत्री का पद देने के बेहद इच्छुक थे। लेकिन पंडित नेहरू ने इसे स्वीकार नहीं किया। मुझे लगता है कि खुद को प्रधानमंत्री के रूप में देखना पंडित नेहरू का आत्मकेंद्रित रवैया था। यदि महात्मा गांधी की सोच को स्वीकारा गया होता तो भारत- पाकिस्तान आज एक होते।' दलाई लामा ने आगे कहा, 'मैं पंडित नेहरू को बहुत अच्छी तरह जानता हूं, वह बेहद अनुभवी और बुद्धिमान व्यक्ति थे, लेकिन कभी-कभी गलतियां हो जाती हैं।'
पणजी। तिब्बतियों के अध्यात्मिक धर्मगुरु दलाई लामा ने दावा किया है कि जवाहरलाल नेहरू का 'आत्म केंद्रित रवैया' अपनाया। वह देश के पहले प्रधानमंत्री बनना चाहते थे, जबकि महात्मा गांधी भी यह चाहते थे कि मोहम्मद अली को पीएम बनाया जाए। दलाई लामा ने दावा किया कि अगर महात्मा गांधी की जिन्ना को पहला प्रधानमंत्री बनाने की इच्छा को अमल में लाया जाता तो देश का बंटवारा नहीं होता। दलाई लामा ने यह बात
गोवा इंस्टीट्यूट ऑफ मैनेजमेंट के एक कार्यक्रम में कही।
एक छात्र ने जब सही फैसला लेने के बारे में दलाई लामा से प्रश्न पूछा तो उन्होंने जवाब दिया कि
लोकतांत्रिक प्रणाली बहुत अच्छी होती है। सामंती व्यवस्था में कुछ लोगों के हाथों में निर्णय लेने की शक्ति होती है, जो खतरनाक है। दलाई लामा ने आगे कहा, 'भारत की तरफ देखिए। मुझे लगता है कि महात्मा गांधी, जिन्ना को प्रधानमंत्री का पद देने के बेहद इच्छुक थे। लेकिन पंडित नेहरू ने इसे स्वीकार नहीं किया। मुझे लगता है कि खुद को प्रधानमंत्री के रूप में देखना पंडित नेहरू का आत्मकेंद्रित रवैया था। यदि महात्मा गांधी की सोच को स्वीकारा गया होता तो भारत- पाकिस्तान आज एक होते।' दलाई लामा ने आगे कहा, 'मैं पंडित नेहरू को बहुत अच्छी तरह जानता हूं, वह बेहद अनुभवी और बुद्धिमान व्यक्ति थे, लेकिन कभी-कभी गलतियां हो जाती हैं।'