• 6 years ago
"चरखा"
पिया रो प्रेम तो जग रा प्रेम स परे है साजन में चाहे लाख बुराइयाँ छुपी हो पर एक सजनी अपने साजन के लिए कभी ना अपशब्द कहती है ना सुनती है । इस गीत में सजनी प्रेम से अपने साजन की बातें बता रही है । कि कैसे साजन की कमाई कम होने पर चरखे की सहायता से वो अपना गुजारा करती है।
"वीणा" को ऊँचाईयों के शिखर तक पहुँचाने का श्रेय जाता है "वीणा" के निर्माता "श्रीमान के.सी.मालू " को ।
इस गीत को अपनी मधुर आवाज से सजाया है "सीमा मिश्रा" ने।
गौरी अपने घर का हाल बता रही है कि कैसे चरखे से वो अपने घर का गुजारा चला रही है । साजन घर से बहुत दुर रहते हैं कभी बारह वर्ष से आते हैं तो कभी पंद्रह वर्ष से पर ना हाथ मे धन होता है ना चेहरे पे कोई उम्मीद, गीत में गौरी कहती है कि उसके घर का करता- धरता तो ये चरखा है जिसके कारण ही उसने अपनी ननद की शादी भी करवाई है।
ये गीत "वीणा" के लोकप्रिय गीतों में से एक है । गीत की भावनाओं को समझते हुए गीत को सुने और ज्यादा से ज्यादा शेयर करें । और हाँ अपने comment जरूर लिखे |


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