• 5 years ago
#BuddhamSaranamGacchami #BuddhamSaranam #BuddhamSaranamGachhami

Meaning of Mantra
These words are not just for uttering, but for investigating, to go deep into their meaning. To meditate upon. Buddha means the one who takes us from Darkness to Light, towards wisdom. Towards higher consciousness towards mindfuless. Dhamma is ‘Here – and – Now’, It is not taking refuge into some intellectual writings or anything but something we can access here and now. Sangha Means community, community where people support, help each other in the meditation practice. It is very important to have a community, so that when you are feeling down, when you are not feeling your 100%, or when you are stuck somewhere, the Community is there to Help you, to pull you up.

Buddham saranam gacchami
I go to the Buddha for refuge.

Dhammam saranam gacchami
I go to the Dhamma for refuge

Sangham saranam gacchami
I go to the Sangha for refuge.

To know that there is some bigger, higher force or energy that is in play, and we all have access to that energy. And how can we access that force that energy? By surrendering, by taking refuge into that higher self, by becoming one with that, by becoming part of that force, that energy. Three Jewels of Buddhism are the Buddha, the Dharma and the Sangha and by reaching or by surrendering oneself to these three heals one from all sufferings and that journey starts with taking refuge in Buddha Dhamma Sangha. This Mantra is also called three gem of Buddhism.

Benefits of Chanting Mantra
- Awakening the mind
- Freedom from Suffering
- Direct Connection with divine forces
- Remains in the present
- Helps to surrender before God and go to the higher self
- This mantra helps in meditation practice


बुद्धं शरणं गच्छामि : मैं बुद्ध की शरण लेता हूँ।
धम्मं शरणं गच्छामि : मैं धर्म की शरण लेता हूँ।
संघं शरणं गच्छामि : मैं संघ की शरण लेता हूँ।

एस धम्मो सनंतनो अर्थात यही है सनातन धर्म। बु‍द्ध का मार्ग ही सच्चे अर्थों में धर्म का मार्ग है। दोनों तरह की अतियों से अलग एकदम स्पष्ट और साफ। जिन्होंने इसे नहीं जाना उन्होंने कुछ नहीं जाना। बुद्ध को महात्मा या स्वामी कहने वाले उन्हें कतई नहीं जानते। बुद्ध सिर्फ बुद्ध जैसे हैं।
अवतारों की कड़ी में बुद्ध अंतिम हैं। उनके बाद प्रलयकाल तक कोई अवतार नहीं होने वाला है। हिंदू और बौद्ध दोनों ही धर्मों के लिए बुद्ध का होना अर्थात धर्म का होना है। बुद्ध इस भारत की आत्मा हैं। बुद्ध को जानने से भारत भी जाना हुआ माना जाएगा। बुद्ध को जानना अर्थात धर्म को जानना है।

यह संयोग ही है कि वैशाख पूर्णिमा के दिन बुद्ध का जन्म नेपाल के लुम्बिनी में ईसा पूर्व 563 को हुआ। इसी दिन 528 ईसा पूर्व उन्होंने बोधगया में एक वृक्ष के ‍नीचे जाना कि सत्य क्या है और इसी दिन वे 483 ईसा पूर्व को 80 वर्ष की उम्र में दुनिया को कुशीनगर में अलविदा कह गए।
बुद्धं शरणं गच्छामि:-
बुद्ध का जन्म : गौतम बुद्ध का जन्म ईसा से 563 साल पहले नेपाल के लुम्बिनी वन में हुआ। उनकी माता कपिलवस्तु की महारानी महामाया देवी जब अपने नैहर देवदह जा रही थीं, तो उन्होंने रास्ते में लुम्बिनी वन में बुद्ध को जन्म दिया। कपिलवस्तु और देवदह के बीच नौतनवा स्टेशन से 8 मील दूर पश्चिम

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