उड़ता पंजाब : फिल्म समीक्षा Movie Review : Udta Punjab
व्हाट्स एप पर चलने वाला एक जोक है कि 'पंजाब में 'ड्रग्स प्रॉब्लम' है ही नहीं क्योंकि वहां पर ड्रग्स आसानी से उपलब्ध है।' पिछले एक दशक से पंजाब नार्को टेरर से जूझ रहा है। इस समस्या पर 'उड़ता पंजाब' बनाई गई है जिसमें दिखाया गया है कि किस तरह खुशहाल प्रदेश के लोग ड्रग्स की चपेट में आकर अपना जीवन बरबाद कर रहे हैं। वैसे भारत के कई इलाकों में ड्रग्स सहज उपलब्ध है। फिल्म का पहला शॉट बहुत कुछ बोल देता है। डिस्क थ्रो करने वाले खिलाड़ी को आपने देखा ही होगा। उसी तर्ज पर पाकिस्तान से डिस्क की तरह ड्रग्स फेंकी जाती है जो भारत में आकर गिरती है। हो सकता है कि यह प्रतीकात्मक दृश्य हो, लेकिन इसके जरिये बताया गया है कि सब कुछ कितनी आसानी से हो रहा है।
यह समस्या कितनी गंभीर है कि इसका अंदाजा फिल्म के एक संवाद से लगाया जा सकता है जिसमें एक बूढ़े दुकानदार से चाय मांगी जाती है तो वह कहता है कि अब चाय कौन पीता है। सब खंडहरों में नशा कर पड़े रहते हैं।
यह समस्या कितनी गंभीर है कि इसका अंदाजा फिल्म के एक संवाद से लगाया जा सकता है जिसमें एक बूढ़े दुकानदार से चाय मांगी जाती है तो वह कहता है कि अब चाय कौन पीता है। सब खंडहरों में नशा कर पड़े रहते हैं।