मादा बंदर अपने बच्चे को जिंदा समझकर पशु अस्पताल लेकर पहुंचीं

  • 5 years ago
सीहोर. एक वक्त तूने जाते वक्त मां पुकारा तो होगा। काश! मैं तेरे साथ होती, काश आज तू मेरे पास होता। काश! काश! काश! यह कविता 2016 में दिल्ली के वसंतकुंज में रेयान इंटरनेशनल स्कूल में मारे गए मासूम छात्र दिव्यांश की मां ने लिखी थी। बेटे की मौत से स्तब्ध उस मां ने अपनी जो पीड़ा शब्दों में पिरोई थी, उसी की झलक सीहोर के पशु चिकित्सालय में देखने मिली। जहां एक बंदरिया अपने मृत बच्चे को सीने से चिपकाए इस आस में बैठी थी कि शायद कोई उसे जीवित कर दे।

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