राम को राम से अन्यत्र कहीं तलाशना ही काम है || आचार्य प्रशांत, ओशो पर (2016)

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वीडियो जानकारी:

शब्दयोग सत्संग
६ जनवरी २०१६
अद्वैत बोधस्थल, नॉएडा

प्रसंग:
काम को राम में बदलने की कला जानो ऐसा ओशो क्यों बोल रहें है? यहाँ किस कला की बात कर रहे है?
क्या है काम?
काम को राम के पास कैसे ले जाये?
राम को राम से अन्यत्र कहीं तलाशना ही काम है?