• 5 years ago
वीडियो जानकारी:

शब्दयोग सत्संग, ३४वा अद्वैत बोध शिविर
२९ जुलाई' २०१८
जिम कॉर्बेट, उत्तराखंड

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हमन है इश्क मस्ताना,
हमन को होशियारी क्या?

रहें आजाद या जग से,
हमन दुनिया से यारी क्या?

जो बिछुड़े हैं पियारे से,
भटकते दर-ब-दर फिरते,

हमन है इश्क मस्ताना,
हमन को होशियारी क्या?

हमारा यार है हम में
हमन को इंतजारी क्या?

न पल बिछुड़े पिया हमसे
न हम बिछड़े पियारे से,

हमन है इश्क मस्ताना,
हमन को होशियारी क्या?

उन्हीं से नेह लागी है,
हमन को बेकरारी क्या?

कबीरा इश्क का माता,
दुई को दूर कर दिल से,

जो चलना राह नाज़ुक है,
हमन सिर बोझ भारी क्या?

हमन है इश्क मस्ताना,
हमन को होशियारी क्या?

प्रसंग:
कबीरा इश्क का माता, दुई को दूर कर दिल से इस पंक्ति में दुई का क्या आशय हैं?
गुरु कबीर के लिए प्रेम का क्या अर्थ है?
जो चलना राह नाज़ुक है,हमन सिर बोझ भारी क्या?
हमन है इश्क मस्ताना, हमन को होशियारी क्या?
रहें आजाद या जग से, हमन दुनिया से यारी क्या?

संगीत: मिलिंद दाते

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