मन मन को विचारे, परम को नहीं ॥ आचार्य प्रशांत, संत कबीर पर (2017)

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शब्दयोग सत्संग
४ जनवरी २०१७
अद्वैत बोधस्थल, नॉएडा

दोहा:गुरु कीजिए जानि के, पानी पीजै छानि ।
बिना विचारे गुरु करे, पड़े चौरासी खानि॥

प्रसंग:
मन के माध्यम से इश्वर पाना क्यों सम्भव नहीं है?
मन को काबू में करके इश्वर को कैसे प्राप्त करें?
अहंकारयुक्त मन हमेशा समस्या ग्रस्त क्यों रहता है?

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