मुझे इतनी ठोकरें क्यों लगती हैं? || आचार्य प्रशांत, संत कबीर पर (2015)

  • 5 years ago
वीडियो जानकारी:

शब्दयोग सत्संग
७ दिसम्बर २०१४,
अद्वैत बोधस्थल, नॉएडा

दोहा:
सोना, सज्जन, साधुजन, टूटि जुरै सौ बार|
दुर्जन कुंभ-कुम्‍हार के, एकै धक्का दरार ||

प्रसंग:
क्या संसार की पीड़ा आपके मन को सताती है?
क्या संसार की मुसीबतों से मुक्ति चाहिए?
संसार में रहकर संसार मुक्ति कैसे रहें?

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