जगते में जागे नहीं सोते नहीं सोए, वही जाने कृष्ण को दूजा न कोय ||आचार्य प्रशांत, श्रीकृष्ण पर (2015)

  • 5 years ago
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शब्दयोग सत्संग
२० सितम्बर २०१५
अद्वैत बोधस्थल, नॉएडा

भागवद गीता (अध्याय २ श्लोक ६९)
या निशा सर्वभूतानां तस्यां जागर्ति संयमी।
यस्यां जाग्रति भूतानि सा निशा पश्यतो मुनेः।।

अर्थ:
सम्पूर्ण मनुष्यों की जो रात है उसमें संयमी मनुष्य जागता है और
जिसमें साधारण मनुष्य जागते हैं वह तत्त्वको जाननेवाले मुनिकी दृष्टि में रात है।

प्रसंग:
संतो के वचनों का किस प्रकार पढ़े?
श्रीकृष्ण कौन है?
संयमी मनुष्य का क्या अर्थ?

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