वीडियो जानकारी:
०४ जून, २०१९
अद्वैत बोधस्थल,
ग्रेटर नॉएडा
प्रसंग:
मुगलां ज़हर प्याले पीते,
भूरियां वाले राजे कीते,
सब अशरफ़ हिरन चुक कीते,
भला उन्हानूं झड़िया ए,
रहो-रहो वे इश्क़ मा मारया ए,
कहो किसनूं पार उतारआ ए।
~ संत बुल्लेशाह जी
क्या संतों को ईश्वर से शिकायत करने का अधिकार भी मिल जाता है?
क्यों कहते हैं कि भक्त का भगवान पर अधिकार हो जाता है?
बुल्लेशाह जी गुरु से क्या शिकायत कर रहे हैं?
बाबा बुल्लेशाह को कैसे समझें?
संगीत: मिलिंद दाते
०४ जून, २०१९
अद्वैत बोधस्थल,
ग्रेटर नॉएडा
प्रसंग:
मुगलां ज़हर प्याले पीते,
भूरियां वाले राजे कीते,
सब अशरफ़ हिरन चुक कीते,
भला उन्हानूं झड़िया ए,
रहो-रहो वे इश्क़ मा मारया ए,
कहो किसनूं पार उतारआ ए।
~ संत बुल्लेशाह जी
क्या संतों को ईश्वर से शिकायत करने का अधिकार भी मिल जाता है?
क्यों कहते हैं कि भक्त का भगवान पर अधिकार हो जाता है?
बुल्लेशाह जी गुरु से क्या शिकायत कर रहे हैं?
बाबा बुल्लेशाह को कैसे समझें?
संगीत: मिलिंद दाते
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