संसार चाहे भेंट तुम्हारे धन की; गुरु लेता भेंट अहंता मन की || आचार्य प्रशांत, संत कबीर पर (2014)

  • 5 years ago
वीडियो जानकारी:

शब्दयोग सत्संग
११ जून, २०१४
अद्वैत बोधस्थल, नॉएडा

साधु चलत रो दीजिये, कीजै अति सनमान ।
कहै कबीर कछु भेंट धरूँ, अपने बित्त अनुमान ।।
~ गुरु कबीर

प्रसंग:
गुरु माने क्या?
गुरु कैसे मदद करता है?
अहंकार से मुक्ति कैसे हो?
संसार को क्या चाहिए?

संगीत: मिलिंद दाते

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