सत्य के अनंत रूपों को सत्य जितना ही मूल्य दो || आचार्य प्रशांत (2015)

  • 5 years ago
वीडियो जानकारी:

शब्दयोग सत्संग
२६ अगस्त २०१५
अद्वैत बोधस्थल, नॉएडा

प्रसंग:
मन दो छोड़ो में क्यों जीता है?
मन को एक ही स्थिति में कैसे रखें?
सत्य के अनंत रूपों को सत्य जितना ही मूल्य कैसे दे?
सत्य पर चलने में अरुचि क्यों लगती है?

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