योग बिना वियोग नहीं || आचार्य प्रशांत, संत धरनी दास पर (2014)

  • 5 years ago
वीडियो जानकारी:

शब्दयोग सत्संग
२४ दिसम्बर २०१४
अद्वैत बोधस्थल, नॉएडा

दोहा:
धरनी पलक परै नहीं, पिय की झलक सुहाय ।
पुनि - पुनि पीवत परमरस, तबहूँ प्यास न जाय ॥

प्रसंग:
योग का असली अर्थ क्या है?
क्या योग मात्र शारीरिक विकास के लिए होता है?
योग से वियोग की यात्रा कैसे करूं?

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