योग बिना वियोग नहीं || आचार्य प्रशांत, संत धरनी दास पर (2014)
वीडियो जानकारी:
शब्दयोग सत्संग
२४ दिसम्बर २०१४
अद्वैत बोधस्थल, नॉएडा
दोहा:
धरनी पलक परै नहीं, पिय की झलक सुहाय ।
पुनि - पुनि पीवत परमरस, तबहूँ प्यास न जाय ॥
प्रसंग:
योग का असली अर्थ क्या है?
क्या योग मात्र शारीरिक विकास के लिए होता है?
योग से वियोग की यात्रा कैसे करूं?
शब्दयोग सत्संग
२४ दिसम्बर २०१४
अद्वैत बोधस्थल, नॉएडा
दोहा:
धरनी पलक परै नहीं, पिय की झलक सुहाय ।
पुनि - पुनि पीवत परमरस, तबहूँ प्यास न जाय ॥
प्रसंग:
योग का असली अर्थ क्या है?
क्या योग मात्र शारीरिक विकास के लिए होता है?
योग से वियोग की यात्रा कैसे करूं?