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लॉकडाउन 1
प्रेम रावत जी द्वारा हिंदी में सम्बोधित (24 मार्च, 2020)
Mar 24, 2020
"हमारा विश्वास मनुष्यों पर है; हमारा विश्वास इस स्वांस पर है; हमारा विश्वास इस बात पर है कि मनुष्य के अंदर जो शक्ति है, वह असली शक्ति है" —प्रेम रावत, 24 मार्च, 2020

प्रेम रावत जी:

सभी श्रोताओं को मेरा नमस्कार!

आज मेरे को यह मौका मिला है आपलोगों तक इस वीडियो के द्वारा मेरा संदेश आप तक पहुंचें। तो मैं यही कोशिश करता हूँ कि जो कुछ भी मेरे हृदय में है आप तक मैं पहुंचाऊं। इन परिस्थितियों में लोग सचमुच में बहुत दुखी हैं, क्योंकि क्या करें? ये तो वो वाली बात हो गयी कि "मरता क्या नहीं करता!"

एक तरफ तो गवर्नमेंट है, कह रही है कि "ये मत करो, वो मत करो, घर में बैठे रहो!" ये लोगों की आदत नहीं है। आजकल तो ये रिवाज़ है कि बाहर जाएं, लोगों से मिलें, ये करें, वो करें। परंतु एक बात है सोचने कि आपको — ठीक है परिस्थितियां ठीक नहीं हैं, यह कोरोना वायरस है और ये सबकुछ है। आइसोलेशन जो है कि आप और लोगों से दूर रहें ताकि आप बीमार न पड़ें।

यह बहुत गंभीर बात है और सीरियस बात है। इस बात को गंभीर तरीके से लेना चाहिए। परंतु हम क्या करें ? अब एक तरफ तो जो कुछ भी हमसे कहा जा रहा है — डरने की बात है, डराने की बात है, ये मत करो, वो मत करो! नहीं तो ये हो जायेगा, नहीं तो वो हो जाएगा।

तो ये मैं कहने के लिए वीडियो नहीं बना रहा हूं। मैं यह कहने के लिए बना रहा हूँ कि आपके पास एक चीज है, आपका हृदय है, आपके अंदर एक चीज है, जो बहुत ही सुन्दर है और चाहे कोई भी बाहर परिस्थिति हो और दुःख देने वाली हो, परन्तु आपके अंदर जो चीज है, वह सुख देने वाली है, वह सुंदरता को पसंद करती है। जो — कैसी सुंदरता ? दुनिया की सुंदरता नहीं, वह आपके अंदर स्थित जो चीज है, जिसे हृदय कहते हैं। उसके अंदर वास करने वाली मधुर, वो चीज, जिसका सेवन करने से मनुष्य का हृदय और गद्गद होता है। जिसको एक्सपीरियंस करने से, जिसको महसूस करने से मनुष्य और खुश होता है और उसकी ख़ुशी दिमागी ख़ुशी नहीं है। पर वह ख़ुशी हृदय की ख़ुशी है। वह आपके अंदर है, वह सब मनुष्यों के अंदर है। चाहे कोई भी हो, कैसा भी हो, कुछ भी करता हो उसका बाहर की चीजों से कुछ भी लेना-देना नहीं है। उसका — तुम अंदर तक पहुंच सकते हो या नहीं उससे सबकुछ लेना-देना है।

मैं आजकल लोगों से कहता हूँ कि तीन चीजें करो — अगर तुम अपनी जिंदगी में कुछ नहीं कर सकते हो, तो कम से कम तीन चीजें करने की कोशिश करो। एक तो "अपने आपको जानो।" जिसका बहुत ही बड़ा महत्व है। क्योंकि जो अपने आपको नहीं जानता, उसको क्या मालूम कि वह कौन है, क्या है, काहे के लिए यहां आया है! न जानने के कारण उसके हजारों क्वेश्चनस हैं, उसके हजारों प्रश्न उठेंगे कि — मैं यहां क्या कर रहा हूँ; ऐसा कैसे हो रहा है मेरे साथ; ये कैसे हो रहा है; ये क्यों हो रहा है; ये क्यों हो रहा है; ये अच्छा क्यों है; ये बुरा क्यों है! ये सारे प्रश्न होंगें।

अगर अपने आपको नहीं जानते हैं, तो यही सबकुछ होगा, पर अगर अपने आपको आप जानते हैं, तो फिर इन चीजों से हटकर दुनिया की जो सारी चीजें हैं, जो हमेशा बदलती रहती हैं, इनसे हटकर एक और चीज है, जो आपके अंदर है, उसको आप जान सकते हैं।

तो एक, ‘अपने आपको जानिए!’ दूसरा, ‘सचेत होकर, (conscious), सचेत होकर के आप अपनी जिंदगी जीयें।’ ये नहीं है कि आँखें बंद कर ली; क्या हो रहा है; क्या नहीं हो रहा है किसी को नहीं मालूम। लोग करते हैं, आँखें बंद कर लेते हैं — ये दुःख की बात है; ये बुरा है; ये ऐसा है; ये वैसा है;

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