कुंवारिया. क्षेत्र में छह माह पूर्व जब हरी सब्जियों के भाव आसमान छूने लगे थे, दो किसानों ने सोचा कि इस बार क्यों न हरी सब्जियों की पैदावार बढ़ा दी जाए। पर उन्हें कहां पता था कि कोरोना नाम की महामारी उनकी मेहनत पर पानी फेर देगी। लॉकडाउन के चलते इन दिनों हालात ये है कि मांग न होने से सब्जियों का उठान कम हो गया है और दाम भी औंधे मुंह गिर चुके हैं।
कुंवारिया निवासी किशनलाल कीर ने बताया कि कुछ माह पहले अच्छे भावों को देखते हुए खेत में लोकी, तुरई, ककड़ी, बैंगन आदि सब्जियों की पैदावार शुरू करने की मानसिकता बनाई तथा परिवार वालों ने भी पूरा सहयोग किया। नतीजा ये रहा खेतों में बड़े पैमाने पर सब्जियां तैयार हो गई। पर जिस उम्मीद से ये सब किया, सबकुछ उल्टा हो गया। लॉकडाउन के कारण इन सब्जियों के भाव इतने औंधे मुंह गिर चुके हैं। हालत इतनी पतली हो चुकी है कि इन धरती पुत्रों को सब्जियों की फसल की लागत वसूल नहीं हो पा रही। ऐसे में किसान कौडिय़ों के दाम पर अपनी फसल बेचने को विवश हैं।
कुंवारिया निवासी किशनलाल कीर ने बताया कि कुछ माह पहले अच्छे भावों को देखते हुए खेत में लोकी, तुरई, ककड़ी, बैंगन आदि सब्जियों की पैदावार शुरू करने की मानसिकता बनाई तथा परिवार वालों ने भी पूरा सहयोग किया। नतीजा ये रहा खेतों में बड़े पैमाने पर सब्जियां तैयार हो गई। पर जिस उम्मीद से ये सब किया, सबकुछ उल्टा हो गया। लॉकडाउन के कारण इन सब्जियों के भाव इतने औंधे मुंह गिर चुके हैं। हालत इतनी पतली हो चुकी है कि इन धरती पुत्रों को सब्जियों की फसल की लागत वसूल नहीं हो पा रही। ऐसे में किसान कौडिय़ों के दाम पर अपनी फसल बेचने को विवश हैं।
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