मिसेज सीरियल किलर : फिल्म समीक्षा
- 4 years ago
नेटफ्लिक्स की फिल्म 'मिसेज सीरियल किलर' के निर्देशक के रूप में शिरीष कुंदर का नाम देख कर ही फिल्म को लेकर मन में शंकाएं उत्पन्न होने लगती हैं क्योंकि शिरीष ने इसके पहले कुछ खराब फिल्में बनाई हैं। शिरीष ने जो 'नाम' बनाया है उस पर वे खरे उतरते हैं।
एक तो शिरीष ने मर्डर मिस्ट्री विषय को चुना। सस्पेंस-थ्रिलर फिल्म बनाना बहुत ही कठिन काम है। पहले तो सस्पेंस क्रिएट करो। फिर रहस्य से परदा उठाओ तो दर्शक पूरी तरह संतुष्ट होना चाहिए। इस तरह की फिल्मों को आम दर्शक भी 'फिल्म क्रिटिक' की तरह देखता है। हर जगह सवाल पूछता है और पूरे जवाब की उम्मीद भी करता है।
मिसेज सीरियल किलर पहली फ्रेम से ही नकली लगती है। जैसे-जैसे कहानी आगे बढ़ती है फिल्म का ग्राफ नीचे की ओर आने लगता है। न सस्पेंस का मजा आता है और न ही थ्रिल देख रोंगटे खड़े होते हैं। समझदार दर्शक तो पहले ही जान जाते हैं कि इन हत्याओं के पीछे कौन है? उनकी कारण जानने में रूचि रहती है। और जब यह कारण सामने आता है तो दीवार पर सिर फोड़ने की इच्छा होने लगती है।
एक तो शिरीष ने मर्डर मिस्ट्री विषय को चुना। सस्पेंस-थ्रिलर फिल्म बनाना बहुत ही कठिन काम है। पहले तो सस्पेंस क्रिएट करो। फिर रहस्य से परदा उठाओ तो दर्शक पूरी तरह संतुष्ट होना चाहिए। इस तरह की फिल्मों को आम दर्शक भी 'फिल्म क्रिटिक' की तरह देखता है। हर जगह सवाल पूछता है और पूरे जवाब की उम्मीद भी करता है।
मिसेज सीरियल किलर पहली फ्रेम से ही नकली लगती है। जैसे-जैसे कहानी आगे बढ़ती है फिल्म का ग्राफ नीचे की ओर आने लगता है। न सस्पेंस का मजा आता है और न ही थ्रिल देख रोंगटे खड़े होते हैं। समझदार दर्शक तो पहले ही जान जाते हैं कि इन हत्याओं के पीछे कौन है? उनकी कारण जानने में रूचि रहती है। और जब यह कारण सामने आता है तो दीवार पर सिर फोड़ने की इच्छा होने लगती है।