केवीके के वैज्ञानिक ने बताया टिड्डीयो की संख्या बढ़ने से रोकने का कारगर उपाय
सहारनपुर- कृषि विज्ञान केंद्र के प्रभारी वैज्ञानिक डॉ इंद्र कुमार कुशवाहा ने बताया कि टिड्डी दल से होने वाले नुकसान को रोकने के लिए इनके प्रजनन को नियंत्रित करना जरूरी है। उन्होंने बताया कि किस प्रकार खेतो में पानी भरकर ओर दवा डालकर इन्हें नियंत्रित किया जा सकता। उन्होंने बताया कि जो टिड्डी पीले रंग की होती है वह रात्रि प्रवास के दौरान 10 से 15 सेमी नीचे रेतीली मिट्टी में छेद करके अंडे देती हैं जो पीले रंग का होता है उसे एग बेड कहा जाता है। एक समय में टिड्डी 90 से 150 अंडे देती हैं और अपने पूरे जीवन चक्र में 600 अंडे तक अंडे दे सकती है। इसने जहाँ अण्डे दिए हैं उसकी जुताई करके तथा खेत में पानी भरकर और क्लोरोपायरीफॉस के 50% ईसी का छिड़काव करके इसके अंडे को वयस्क बनने से नियंत्रित किया जा सकता है। इसके लिए जरूरी है कि टिड्डियों ने जहां पर रात्रि प्रवास किया है वहां पर सघन जांच की जाए और यदि जमीन में टिड्डियों ने अंडे दे दिए हैं तो उसका निरीक्षण करते हुए उपरोक्त विधियों से इसका नियंत्रण किया जा सकता है।
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