Deepdan-sangharsh Ke Moti-Hindi Kavita आओ फिर ;दीपक जलाएं | aao fir Deepak jalaye | Modi Ji Ke Khne Par likhi kavita

  • 4 years ago
दीपदान ( "आओ फिर दीपक जलाएं" )



दीपदान
"आओ फिर दीपक जलाएं"



आओ फिर ;दीपक जलाएं ,

घने तिमिर के; आगोश में, ‘रोशनी की क्रांति लाएं’ |

घर-गली, गांव-देश ; जगमगाए,

आओ फिर ;दीपक जलाएं ||



मन का दीया, आशा की बाती,

संकल्प - शक्ति का तेल मिलाएं

तपस्या की, अग्नि से; ज्ञान ज्योति प्रज्वलित कराएं ,

आओ फिर दीपक जलाएं ||



“नकारात्मकता -उदासीनता” ‘कीट-पतंग भांति जल जाए ,

जात पात को छोड़कर, देश हित में कदम उठाएं,

विश्व गुरु थे!!! विश्व गुरु हैं!!! “विश्व समक्ष प्रेरणा बन जाए” ,

आओ फिर दीपक जलाएं ||



यह है:, प्रश्नचिन्ह मानव जाति पर ,

‘काल’ आ पहुंचा है, ‘ अब दर पर ,

सत्कर्म की “दीप-पुंज” से महाकाल को मनाए

आओ फिर दीपक जलाएं ||



‘रात्रि अंधकार की’ , जब तक न ढल जाए,

‘आपदा की घड़ियां’ ,जब तक न टल जाए ,

पालन करें नियमों का, “स्वयं’ को “सशक्त-सफल” बनाएं

आओ फिर ,दीपक जलाएं ||

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