उत्तर प्रदेश की योगी सरकार एक ऐसा नियम लागू करने जिसमें युवाओं को सरकारी नौकरी करने से पूर्व 5 साल तक संविदा पर रहकर नौकरी करनी होगी । युवाओं को इससे सरकारी नौकरी पाने की आस जरूर बढ़ी होगी साथ ही उनकी आशाओं को और बल मिला होगा जो पिछले 20 - 25 सालों से संविदा की ही नौकरी में जीवन खपा रहे हैं । आज बाराबंकी में ऐसे उन लोगों से बात की गयी जो पिछले काफी से ऐसी ही नौकरी कर रहे हैं । इसी लिए हम कह रहे है कि अगर 5 साल संविदा पर काम करने वालों को सरकारी नौकरी तो 25 सालों से काम कर रहे लोगों सरकारी नौकरी क्यों नही ......................
उत्तर प्रदेश की योगी सरकार का इधर जबसे एक आदेश चर्चा में आया है कि सरकारी नौकरी पाने से पूर्व 5 साल तक अनिवार्य संविदा की नौकरी करनी होगी । यह आदेश सोशलमीडिया पर खूब चटखारे लेकर पढ़ा भी जा रहा है इसको लोग अपने - अपने तरीके से ले भी रहे है । जहाँ प्रदेश के युवाओं में सरकारी नौकरी पाने की महत्वाकांक्षा ने और बल दिया है वहीं उन लोगों को भी खुशी दे रहा है जो जीवन का एक बड़ा हिस्सा संविदाकर्मी के रूप में ही दे चुके है । सवाल भी सही है कि अगर पाँच सालों तक संविदा पर काम करना सरकारी नौकरी का मानक है तो वह तो इस मानक को कई बार पूरा कर चुके हैं ।
हम बात कर रहे है उद्यान विभाग में संविदा पर काम करने वाले मालियों की । यह माली पिछले 20 से 25 सालों से जिले के उद्यान और पार्कों को चमकाने , संवारने का काम करते आ रहे हैं । यह लोग बताते है कि उनकी मजदूरी का हिसाब लगाया जाए तो 200 रुपया प्रतिदिन ही आता है । वेतन आने की जहाँ तक बात है तो तीसरे , चौथे महीने ही आ पाता है । जनवरी से अब तक सिर्फ तीन माह का वेतन ही उन्हें मिल पाया है । उनसे पहले से भी काम करने वाले लोग अभी दैनिक वेतन या संविदा पर ही काम कर रहे है तो उनका क्या होगा । उन्ही के सामने कुछ लोगों को स्थायी नौकरी दी भी गयी है लेकिन उन्हें नही मिली है इसके लिए वह अदालत का दरवाजा भी खटखटा चुके है । अब तो केवल उम्मीद ही बची है उसी के सहारे जीवन चल रहा है ।
उत्तर प्रदेश की योगी सरकार का इधर जबसे एक आदेश चर्चा में आया है कि सरकारी नौकरी पाने से पूर्व 5 साल तक अनिवार्य संविदा की नौकरी करनी होगी । यह आदेश सोशलमीडिया पर खूब चटखारे लेकर पढ़ा भी जा रहा है इसको लोग अपने - अपने तरीके से ले भी रहे है । जहाँ प्रदेश के युवाओं में सरकारी नौकरी पाने की महत्वाकांक्षा ने और बल दिया है वहीं उन लोगों को भी खुशी दे रहा है जो जीवन का एक बड़ा हिस्सा संविदाकर्मी के रूप में ही दे चुके है । सवाल भी सही है कि अगर पाँच सालों तक संविदा पर काम करना सरकारी नौकरी का मानक है तो वह तो इस मानक को कई बार पूरा कर चुके हैं ।
हम बात कर रहे है उद्यान विभाग में संविदा पर काम करने वाले मालियों की । यह माली पिछले 20 से 25 सालों से जिले के उद्यान और पार्कों को चमकाने , संवारने का काम करते आ रहे हैं । यह लोग बताते है कि उनकी मजदूरी का हिसाब लगाया जाए तो 200 रुपया प्रतिदिन ही आता है । वेतन आने की जहाँ तक बात है तो तीसरे , चौथे महीने ही आ पाता है । जनवरी से अब तक सिर्फ तीन माह का वेतन ही उन्हें मिल पाया है । उनसे पहले से भी काम करने वाले लोग अभी दैनिक वेतन या संविदा पर ही काम कर रहे है तो उनका क्या होगा । उन्ही के सामने कुछ लोगों को स्थायी नौकरी दी भी गयी है लेकिन उन्हें नही मिली है इसके लिए वह अदालत का दरवाजा भी खटखटा चुके है । अब तो केवल उम्मीद ही बची है उसी के सहारे जीवन चल रहा है ।
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