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Story
ये कहानी ये गुणी राम की गुड्डी राम हाथ रिक्शा चलाता था उसकी पत्नी विमला दूसरों के घरों में झाडू पोछे का काम किया करती थी। उन दोनों का एक ही बेटा था नरेश गुणी राम और विमला खूब मेहनत करते हैं ताकि उनके बेटे को किसी चीज की कोई कमी ना हो। वो दोनों तो ठीक से पढ़ लिख नहीं सके थे लेकिन पढ़ाई का महत्व खूब समझते थे तभी तो उन्होंने नरेश का एडमिशन भी अच्छे स्कूल में करवाया था ताकि पढ़ लिखकर वो अच्छी जिन्दगी जी सके और उसे उनकी तरह संघर्ष न करना पड़े। एक दिन गुड्डी राम का बेटा अपनी झोपड़ी के बाहर उदास बैठा है। उसकी मां हाथ में खाने की थाली लिए उसके पास खड़ी है ये क्या सीधे बेटा खाना नहीं खाओगे तो कैसे चलेगा। अम्मा हम तुम को गए ना कि हमको भूख नहीं है। सुबह सी शाम उन्हें आई और तुम्हें भूख ही नहीं लगी। थोड़ा सा खाली न बेटा। एकओर अपनी अम्मा के लिए खाली न चलो आज करो आज अम्मा तुम समझती क्यों नहीं हो। हम को नहीं खाना खाना वाना तभी गुड्डी राम अपने घर पहुंचता है। उसे देखते ही उसकी पत्नी उसे बोलती है आप आगे जी देखिये न। नरेश सुबह से उदास बैठा है और तो और उसने एक निवाला भी नहीं खाया है। अरे उसकी तबियत तो ठीक है न। गुड्डी नाम अपनी बेटी के सिर पर हाथ लगाता है बुखार। हां बुखार तो नहीं है इसे बेटा नरेश क्या हुआ है बाबू मेरा है बहना बेटा। ऐसे चुप मत रहो तुम खाना भी नहीं खाए आज। बाबूजी अब हम स्कूल नहीं जाना चाहते हैं। स्कूल नहीं जाओगे लेकिन क्यों बैठा। किसी ने कुछ बोला क्या तुमको बाबूजी
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► All the characters, incidents, names, and situations used in this story are fictitious. The following video is suitable for a mature audience.
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ये कहानी ये गुणी राम की गुड्डी राम हाथ रिक्शा चलाता था उसकी पत्नी विमला दूसरों के घरों में झाडू पोछे का काम किया करती थी। उन दोनों का एक ही बेटा था नरेश गुणी राम और विमला खूब मेहनत करते हैं ताकि उनके बेटे को किसी चीज की कोई कमी ना हो। वो दोनों तो ठीक से पढ़ लिख नहीं सके थे लेकिन पढ़ाई का महत्व खूब समझते थे तभी तो उन्होंने नरेश का एडमिशन भी अच्छे स्कूल में करवाया था ताकि पढ़ लिखकर वो अच्छी जिन्दगी जी सके और उसे उनकी तरह संघर्ष न करना पड़े। एक दिन गुड्डी राम का बेटा अपनी झोपड़ी के बाहर उदास बैठा है। उसकी मां हाथ में खाने की थाली लिए उसके पास खड़ी है ये क्या सीधे बेटा खाना नहीं खाओगे तो कैसे चलेगा। अम्मा हम तुम को गए ना कि हमको भूख नहीं है। सुबह सी शाम उन्हें आई और तुम्हें भूख ही नहीं लगी। थोड़ा सा खाली न बेटा। एकओर अपनी अम्मा के लिए खाली न चलो आज करो आज अम्मा तुम समझती क्यों नहीं हो। हम को नहीं खाना खाना वाना तभी गुड्डी राम अपने घर पहुंचता है। उसे देखते ही उसकी पत्नी उसे बोलती है आप आगे जी देखिये न। नरेश सुबह से उदास बैठा है और तो और उसने एक निवाला भी नहीं खाया है। अरे उसकी तबियत तो ठीक है न। गुड्डी नाम अपनी बेटी के सिर पर हाथ लगाता है बुखार। हां बुखार तो नहीं है इसे बेटा नरेश क्या हुआ है बाबू मेरा है बहना बेटा। ऐसे चुप मत रहो तुम खाना भी नहीं खाए आज। बाबूजी अब हम स्कूल नहीं जाना चाहते हैं। स्कूल नहीं जाओगे लेकिन क्यों बैठा। किसी ने कुछ बोला क्या तुमको बाबूजी
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