इंदौरियों के लिए बड़ी खुशखबरी है। सात साल बाद फिर कमला नेहरू प्राणी संग्रहालय में व्हाइट टाइगर नजर आएगा। ओडिशा के जूलाॅजिकल पार्क नंदन कानन से 1400 किमी तय कर दोनों टाइगर को इंदौर लाया गया। इसके साथ काली धारियों वाला बाघ भी साथ आया। ये सफर 42 घंटे में तय किया गया।
इंदौर प्राणी संग्रहालय की टीम गुरुवार दोपहर 4 बजे दो बाघों को लेकर इंदौर पहुंची। यह मेल मेलानिस्टिक ब्लैक टाइगर चार साल का है। उसका नाम विक्की है। शरीर पर मौजूद काली धारियों के कारण यह टाइगर खास पहचान रखता है। यह दुर्लभ प्रजाति का बाघ भारत में सिर्फ ओडिशा में पाया जाता है। 2020 की गणना में सामने आया था कि काली धारी वाले टाइगरों की संख्या में तेजी से कमी आ रही है। लंबे समय से टाइगर को इंदौर चिड़ियाघर लाने की कवायद चल रही थी, जो पूरी हो गई। इसके अलावा सफेद बाघ भी लाया गया।
इंदौर चिड़ियाघर के आखिरी सफेद बाघ राजन की कोबरा सांप के काटने से मौत हो गई थी। इसके बाद से ही इंदौर जू में व्हाइट टाइगर नहीं था। इससे पहले बाघिन व्हाइट टाइगर की छह साल की उम्र में किडनी, लीवर और हार्ट फेल होने से मौत हुई थी। इसके बाद से व्हाइट टाइगर लाने के लिए स्थानीय चिड़ियाघर प्रशासन प्रयास कर रहा था। इसके लिए हैदराबाद, औरंगाबाद समेत कई चिड़ियाघरों से चर्चा की गई थी।
इंदौर प्राणी संग्रहालय की टीम गुरुवार दोपहर 4 बजे दो बाघों को लेकर इंदौर पहुंची। यह मेल मेलानिस्टिक ब्लैक टाइगर चार साल का है। उसका नाम विक्की है। शरीर पर मौजूद काली धारियों के कारण यह टाइगर खास पहचान रखता है। यह दुर्लभ प्रजाति का बाघ भारत में सिर्फ ओडिशा में पाया जाता है। 2020 की गणना में सामने आया था कि काली धारी वाले टाइगरों की संख्या में तेजी से कमी आ रही है। लंबे समय से टाइगर को इंदौर चिड़ियाघर लाने की कवायद चल रही थी, जो पूरी हो गई। इसके अलावा सफेद बाघ भी लाया गया।
इंदौर चिड़ियाघर के आखिरी सफेद बाघ राजन की कोबरा सांप के काटने से मौत हो गई थी। इसके बाद से ही इंदौर जू में व्हाइट टाइगर नहीं था। इससे पहले बाघिन व्हाइट टाइगर की छह साल की उम्र में किडनी, लीवर और हार्ट फेल होने से मौत हुई थी। इसके बाद से व्हाइट टाइगर लाने के लिए स्थानीय चिड़ियाघर प्रशासन प्रयास कर रहा था। इसके लिए हैदराबाद, औरंगाबाद समेत कई चिड़ियाघरों से चर्चा की गई थी।
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