• 3 years ago
गुरुदेव की रहमतं कों,सेवक सदा पाता है-२,
सेवक और सतगुरु का, जन्मों का नाता है-२,
गुरुदेव की रहमतं कों,सेवक सदा पाता है-२,

मन बिन गुरु-कृपा कें, निश्छल कहां होता है-२,
बिन नजरें-करम जीवन, उज्जवल कहां होता है-२,
बिन रहमतं सतगुरु की, निश्चय कहां आता है-२,
सेवक और सतगुरु का, जन्मों का नाता है-२,
गुरुदेव की रहमतं कों,सेवक सदा पाता है-२,

गुरु-कृपा जीवन की,पीड़ा हर लेती है-२,
और नाम की दौलत सें,झोली भर देती हैं-२,
फिर सहज अवस्था कों, सेवक पा जाता है-२,
सेवक और सतगुरु का, जन्मों का नाता है-२,
गुरुदेव की रहमतं कों,सेवक सदा पाता है-२,

हर जन्म में सेवक कें,निगरान वों होतें है-२,
हर जन्म में अर्जुन कें,रथवान वो होतें है-२,
जों शरणं में आता है,रणं जीत के जाता है-२,
सेवक और सतगुरु का, जन्मों का नाता है-२,
गुरुदेव की रहमतं कों,सेवक सदा पाता है-२,

प्रभु भाग्य जगातें है, गुरु सन्त मिलाते है-२,
पर नर सें नारायण, गुरुदेव बनातें है-२,
सेवक-जन जड़-पत्थर, सतगुरु र्निमाता है-२,
सेवक और सतगुरु का, जन्मों का नाता है-२,
गुरुदेव की रहमतं कों,सेवक सदा पाता है-२,

शुभ-रुहों कों दासां, गुरुदेव जगातें है-२,
जब उचित समय आता,चरणों सें लगातें है-२,
लोहा भी छूं करकें,पारस बन जाता है-२,
सेवक और सतगुरु का, जन्मों का नाता है-२,
गुरुदेव की रहमतं कों,सेवक सदा पाता है-२,

श्री सतगुरु देवाय नमः
सभी प्यारें गुरुमुखों को
सप्रेम जय गुरां दी जय सचिदानंद जी

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