दुश्मनों हाथ उठाओ कि मैं जियूं बरसों, दोस्तों ने मेरे मरने की दुआ मांगी है... यह शेर हैं शहर के मकबूल शायर अता रायपुरी के। पद्मश्री मदन चौहान ने अपने एल्बम सितम पर सितम में इसे गाया है। फनकार अता रायपुरी आज भले हमारे बीच नहीं हैं लेकिन उनके कलाम हमेशा हमारे दिलों में महकत