• 2 years ago
@Forever magical power

अध्यात्म में आप क्या-क्या सीखेंगे?


आप यहां पर अपनी आत्मा का अध्ययन करेंगे।
आत्म अध्ययन
अपनी आत्मा के स्वभाव को जानेंगे।
इस पृथ्वी पर आपकी आत्मा यानी कि आप क्या करने के लिए आए हैं।
आप यानी कि आपकी आत्मा जो करने के लिए आई है वह आप कर भी रहे हैं या नहीं यह आपको पता चलेगा।
अगर आप कामयाब नहीं हो रहे हैं तो क्यों नहीं हो रहे हैं।
अगर आप कामयाब हैं फिर भी संतुष्ट नहीं है तो क्यों नहीं है।
जीवन में हमेशा कमी का अनुभव क्यों होता है ?
आप कितने आत्मनिर्भर हैं और कितने दूसरों पर निर्भर हैं?
आप सच में आत्मनिर्भर हैं या फिर पूरी तरह किसी दूसरे पर ही निर्भर हैं।
आप कितने अच्छे हैं और कितने बुरे हैं मतलब कितने आपके अंदर गुण हैं और कितने अवगुण हैं?
दूसरों के द्वारा कही गई बातों को आप किस प्रकार लेते हैं पॉजिटिव या नेगेटिव ।

अगर आप अच्छे हैं तो आपके साथ बुरा क्यों होता हैं?
आपके अपने ही आपको दुख क्यों देते हैं?
आप भावनाओं में क्यों बहते हैं और उन भावनाओं में बहने से अपने आप को कैसे रोक सकते हैं।
आपकी सब के साथ क्यों नहीं बनती?
आपको हमेशा दूसरों से शिकायत क्यों रहती हैं ?
हमेशा दूसरे विरोधी क्यों नजर आते हैैं?
आपको दूसरों से ईर्ष्या या जलन क्यों होती हैं?
आप जो चाहते हैं वह क्यों नहीं मिलता?
आपको गुस्सा क्यों आता है?
आप किसी संकल्प को क्यों नहीं पूरा कर पाते?
आप बेवजह की बातें या विचार क्यों सोचते रहते हैं?
आपको आलस्य क्यों आता है ?
कामचोरी क्यों करते हैं?
आप कितने बहाने बनाते हैं, कहां-कहां पर बहाने बनाते हैं और क्यों बनाते हैं?
आप नियम क्यों नहीं बना पाते?
आप आत्मानुशासन क्यों नहीं फॉलो करते ?
आप हमेशा काश! शब्द का प्रयोग क्यों करते हैं?
आपके अपने ही आपको दुख क्यों देते हैं?
जीवन की उलझनों को क्यों नहीं सुलझा पाते और उनको कैसे सुलझाया जाता है?
आपको मानसिक तनाव क्यों होता है?
हम हमेशा तारीफ के भूखे क्यों रहते हैं?
हमारे अंदर कितना अहम भाव है (घमंड)
आपके पास कितनी चेतना शक्ति है?
अपनी चेतना शक्ति को आप कैसे बढ़ा सकते हैं?
जो कार्य आप करना चाहते हैं उसके लिए कितनी चेतना शक्ति की जरूरत है?
अपनी समझ और बुद्धि का प्रयोग कहां-कहां, किस-किस प्रकार और कितना करना होता है?

आपके अंदर डिसीजन लेने की कितनी क्षमता है ?
क्या आप क्लियर डिसीजन ले पाते हैं और अगर नहीं तो क्यों नहीं।

आपकी आत्मा blessed है या फिर श्रापित।

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