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बांसवाड़ा. मातारानी त्रिपुरा सुंदरी का दरबार। अनवरत बजते लोक वाद्य ढोल, थाली व कुण्डी की अनुगूंज, डांडियों की खनक और पारंपरिक वेशभूषा में सजे-धजे युवक-युवतियों की लयबद्ध कदमताल।

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