निर्मला मूर्मु संताल आदिवासी समुदाय की महिला हैं. वो एक प्रसिद्ध कवि और कार्यकर्ता भी हैं. इसके साथ ही वो पंचायत की चुनी हुई नेता भी हैं. हमने उनसे पूछा की किसी परिचय को वो अपने क़रीब पाती हैं. वो कहती हैं सामाजिक कार्यकर्ता की पहचान ही उनकी असली पहचान है. उनके संघर्ष से ही उनकी कविता ने जन्म लिया है. देखिए यह चित्रिता सान्याल के साथ उन्होंने खुद को कैसे परिभाषित किया है.
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