दुकान पर पहुंचकर पिता का कार्य जाना अनुष्का

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दुकान पहुंचकर मैंने पिता के कार्य को समझा है। दुकान चलाना एक कठिन कार्य हैं। मैं पिता के प्रयास से ही यहां तक पहुंची हूं। भविष्य में मैं पिता का अनुसरण करते हुए अपने लक्ष्य को हासिल करुंगी।
- अनुष्का अवस्थी, बीएड प्रथम वर्ष

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