• 2 years ago
चाय में नेसर्गिक फ्लेवनॉयड्स होते है जो उनकी खासियत है और आम वनस्पति में अलग किस्म की पाई जाती है दूसरा चाय में कैफ़ीन होता है हो दिमाग और बदन में स्फूर्ति लाता है और तरोताजा रखता है ,हा सिर्फ उन बदनसीब को नहीं जिन्हें जनिनी तौर पर कैफ़ीन की पाचन की क्षमता नहीं है ,उनके लिए ये धीमा जहर है । दूसरा जहर जो चाय में होता है वो आसानी से से नहीं बाहर आता, हम गलती करके उसको सक्रिय करते है वोह गलतियां तीन है एक चाय को बहुत ज्यादा तापमान से बार बार उबालना, कम तापमान पर चाय से कैफ़ीन मिलता है ज्यादा तापमान से उबलने पर टेनिन पाया जाता है चाय में जो पाचनशक्ति को क्षीण करता है दिमाग को भ्रमित और दील को रफ्तार को अनियमित गुर्दे की कार्यक्षमता को बाधित करता है, दूसरी गलती चाय को निचोड़ के छानना जब हम कपड़े में लपेट के या छाननी में दबाने चाय को छानते है तब ये टेनिन जुदा होता है और माध्यम गति से अपना विषिला असर दिखात है । तीसरी गलती हम करते है चाय को एल्यूमिनयम के बर्तन में उबलने की ज्यादा तापमान पर या बार बार ठंडी चाय को दुबारा उबलने की ,तब उसमें से टेनिन निकलता है।

#ChaiPakaneKeGalatTarikeSeKidneyDamae
~PR.111~ED.120~HT.95~

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