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ज्येष्ठ माह के कृष्णपक्ष की प्रतिपदा तिथि पर हर साल नारद जयंती मनाई जाती है. शास्त्रों के अनुसार नारद जी ने कठोर तपस्या के बाद देवलोक में ब्रम्ह ऋषि का पद प्राप्त किया हुआ था. नारद जी को तीनों लोकों में भ्रमण करने की वरदान प्राप्त था. मान्यता है कि नारद जयंती पर नारद जी की पूजा करने से ज्ञान की प्राप्ति होती है. चलिए बताते हैं नारद का जन्म कैसे हुआ.

Narad Jayanti is celebrated every year on the Pratipada date of Krishna Paksha of Jyestha month. According to the scriptures, Narad ji had obtained the post of Brahma Rishi in Devlok after a hard penance. Narad ji was blessed to travel in all the three worlds. It is believed that by worshiping Narad ji on Narad Jayanti one gets knowledge. Let us tell how Narad was born.

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~PR.114~ED.118~HT.178~

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