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सीआरएस ने अपनी रिपोर्ट में सिग्नल और दूरसंचार विभाग की कई खामियों को ज़िम्मेदार बताया है. सीआरएस की रिपोर्ट में साफ तौर से कहा गया है कि यह दुर्घटना टक्कर का मामला था. जिसमें कोरोमंडल एक्सप्रेस की स्पीडोमीटर रीडिंग अचानक जीरो हो गई थी. इस टक्कर में कोरोमंडल एक्सप्रेस के साथ ही एक चेन्नई-कोलकाता यात्री ट्रेन भी शामिल थी. कोरोमंडल एक्सप्रेस बहनागा बाजार रेलवे स्टेशन के पास अप-लूप लाइन में घुस गई, जहां एक मालगाड़ी पहले से ही खड़ी थी. टक्कर के कारण बेंगलुरु-हावड़ा सुपरफास्ट एक्सप्रेस भी पटरी से उतर गई और उसके आखिरी कुछ डिब्बे दूसरे ट्रैक पर जा गिरे.

रेलवे सूत्रों ने संकेत दिया कि सिग्नल से पहले प्वाइंट/क्रॉसओवर की समस्या के कारण कोरोमंडल एक्सप्रेस मुख्य लाइन के बजाय लूप लाइन में घुस गई. कथित तौर पर सीआरएस ने इसकी पुष्टि की है. दुर्घटना के बाद लोको-पायलट और सहायक लोको-पायलट की गवाही के साथ-साथ पर्यवेक्षकों की संयुक्त रिपोर्ट को ध्यान में रखा गया. जिसमें कहा गया था कि प्वाइंट को उल्टा सेट किया गया था जबकि मुख्य लाइन के लिए सिग्नल हरा था. पटरी से उतरना दुर्घटना का प्रारंभिक कारण नहीं था और यह शुरुआत से ही बिल्कुल स्पष्ट था. रोलिंग स्टॉक या ट्रैक का भी हादसे से कोई लेना-देना नहीं था और रिपोर्ट में यह बात बिल्कुल साफ है. केवल सिग्नलिंग प्रणाली की खामियों के कारण ही ट्रेन को गलत सिग्नल मिला.

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