Utpanna Ekadashi Vrat Katha

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Utpanna Ekadashi Vrat Katha | उत्पन्ना एकादशी व्रत कथा | Utpatti Ekadashi Vrat Katha @Mere Krishna

पौराणिक कथा के अनुसार, सतयुग में एक नाड़ीजंघ नामक राक्षस का पुत्र था मुर। वह बहुत बलवान था। मुर ने इंद्र, वरुण, यम, अग्नि, वायु, ईश, चंद्रमा, नैऋत आदि सभी के स्थान पर अपना राज स्थापित कर लिया था। सभी देवता उससे पराजित हो चुके थे। परेशान होकर देवता शिव की शरण में पहुंचे तो महादेव ने मुर पर विजय प्राप्ति का उपाय जानने के लिए सभी को विष्णु जी के पास जाने को कहा।

भोलेनाथ की आज्ञा का पालन करते हुए देवतागण श्रीहरि विष्णु के पास पहुंचे और विस्तार से इंद्र ने अपनी पीड़ा बताई। देवताओं को मुर से बचाने का वचन देते हुए भगवान विष्णु रणभूमि में पहुंच गए। विष्णु जी को देखते ही उसने उन पर भी प्रहार किया। कहते हैं कि मुर और श्रीहरि के बीच ये युद्ध 10 हजार वर्षों तक चला था।

श्रीहरि युद्ध करते हुए थक गए तो वो बद्रीकाश्रम में हेमवती नामक गुफा में आराम करने लगे। मुर भी भगवान विष्णु का पीछा करते करते वहां पहुंच गया। वह श्रीहरि पर वार करने ही वाला था कि तभी भगवान विष्णु के शरीर से कांतिमय रूप वाली देवी का जन्म हुआ। उस देवी ने राक्षस का वध कर दिया। भगवान विष्णु ने देवी से कहा कि आपका जन्म मार्गशीर्ष मास की कृष्ण पक्ष की एकादशी तिथि को हुआ है इसलिए आज से आपका नाम एकादशी होगा। इस दिन देवी एकादशी उत्पन्न हुई थी इसलिए इसे उत्पन्ना एकादशी कहा जाता है। जो एकादशी का व्रत करता है उसे जन्म-मरण के बंधन से मुक्ति मिल जाती है।

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