Amalaki Ekadashi Vrat Katha | Amalaki Ekadashi 2024 | आमलकी/रंगभरी एकादशी व्रत कथा | ग्यारस कथा @LordKrishnabhajanKKB
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आमलकी एकादशी व्रत कथा
प्राचीन समय में वैदिक नामक एक नगर था। यहां चैत्ररथ नामक चंद्रवंशी राजा का राज था। नगर में ब्राह्मण, वैश्य, क्षत्रिय, शूद्र, चारों वर्ण के लोग प्रसन्न रहते थे। नगर में सदैव वेदध्वनि गूंजा करती थी। इस नगर में सभी विष्णु भक्त थे और एकादशी का व्रत जरुर करते थे। एक बार फाल्गुन शुक्ल एकादशी आई, सभी ने पूजा, कथा कर रात्रि जागरण किया, तभी वहां एक शिकारी भी आ गया, जो महापापी और दुराचारी था।
भगवान विष्णु की कथा तथा एकादशी माहात्म्य सुनने लगा। इस प्रकार उस बहेलिए ने सारी रात अन्य लोगों के साथ जागरण कर व्यतीत की। अगले दिन अगले दिन वह घर गया और भोजन करके सो गया। कुछ दिनों बाद उसका निधन हो गया। शिकारी के अनेकों पापों के कारण उसे नरक भोगना पड़ता लेकिन उससे अनजाने में हुए आमलकी एकादशी व्रत के फलस्वरूप अगला जन्म राजा विदुरथ के यहां लिया। उसका नाम रखा वसुरथ। वसुरथ भी विष्णु जी की भक्ति करता था।
एक दिन वह जंगल में रास्त भटक गया। वहां एक पेड़ के नीचे सो गया। उस पर कुछ डाकूओं ने हमला कर दिया लेकिन इन दुराचारियों के अस्त्र-शस्त्र का राजा पर कोई असर नहीं हुआ। कुछ समय बाद राजा वसुरथ के शरीर से एक दिव्य देवी प्रकट हुईं और उन्होंने समूचे डाकुओं का नाश कर दिया। लोगों ने हमला किया, लेकिन उसके शरीर से प्रकट हुई स्त्री ने उन सबको मार डाला और राजा बच गया।
राजा जब नीद से जगा तो देखा कि काफी संख्या में लोग मरे हुए हैं, तब आकाशवाणी हुई कि भगवान विष्णु ने तुम्हारी रक्षा की है। कथा के अनुसार यह सब आमलकी एकादशी के व्रत का प्रभाव था, जो मनुष्य एक भी आमलकी एकादशी का व्रत करता है, वह प्रत्येक कार्य में सफल होता है और अंत में वैकुंठ धाम को पाता है। देवी लक्ष्मी भी इस व्रत से प्रसन्न होकर व्यक्ति को ऐश्वर्य, धन, सुख प्रदान करती हैं।
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आमलकी एकादशी व्रत कथा
प्राचीन समय में वैदिक नामक एक नगर था। यहां चैत्ररथ नामक चंद्रवंशी राजा का राज था। नगर में ब्राह्मण, वैश्य, क्षत्रिय, शूद्र, चारों वर्ण के लोग प्रसन्न रहते थे। नगर में सदैव वेदध्वनि गूंजा करती थी। इस नगर में सभी विष्णु भक्त थे और एकादशी का व्रत जरुर करते थे। एक बार फाल्गुन शुक्ल एकादशी आई, सभी ने पूजा, कथा कर रात्रि जागरण किया, तभी वहां एक शिकारी भी आ गया, जो महापापी और दुराचारी था।
भगवान विष्णु की कथा तथा एकादशी माहात्म्य सुनने लगा। इस प्रकार उस बहेलिए ने सारी रात अन्य लोगों के साथ जागरण कर व्यतीत की। अगले दिन अगले दिन वह घर गया और भोजन करके सो गया। कुछ दिनों बाद उसका निधन हो गया। शिकारी के अनेकों पापों के कारण उसे नरक भोगना पड़ता लेकिन उससे अनजाने में हुए आमलकी एकादशी व्रत के फलस्वरूप अगला जन्म राजा विदुरथ के यहां लिया। उसका नाम रखा वसुरथ। वसुरथ भी विष्णु जी की भक्ति करता था।
एक दिन वह जंगल में रास्त भटक गया। वहां एक पेड़ के नीचे सो गया। उस पर कुछ डाकूओं ने हमला कर दिया लेकिन इन दुराचारियों के अस्त्र-शस्त्र का राजा पर कोई असर नहीं हुआ। कुछ समय बाद राजा वसुरथ के शरीर से एक दिव्य देवी प्रकट हुईं और उन्होंने समूचे डाकुओं का नाश कर दिया। लोगों ने हमला किया, लेकिन उसके शरीर से प्रकट हुई स्त्री ने उन सबको मार डाला और राजा बच गया।
राजा जब नीद से जगा तो देखा कि काफी संख्या में लोग मरे हुए हैं, तब आकाशवाणी हुई कि भगवान विष्णु ने तुम्हारी रक्षा की है। कथा के अनुसार यह सब आमलकी एकादशी के व्रत का प्रभाव था, जो मनुष्य एक भी आमलकी एकादशी का व्रत करता है, वह प्रत्येक कार्य में सफल होता है और अंत में वैकुंठ धाम को पाता है। देवी लक्ष्मी भी इस व्रत से प्रसन्न होकर व्यक्ति को ऐश्वर्य, धन, सुख प्रदान करती हैं।
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