अपने विचारों को आज़ादी दो || आचार्य प्रशांत, अवधूत गीता पर (2020)

  • 2 months ago
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वीडियो जानकारी:
पार से उपहार शिविर, 15.02.20, ऋषिकेश, उत्तराखंड, भारत

प्रसंग:
दोषबुध्योभयातीतो निषेधान्न निवर्तते ।
गुणबुध्या च विहितं न करोति यथार्भकः।।

भावार्थ: जो पुरुष गुण और दोष बुद्धि से अतीत हो जाता है, वह बालक के समान निषिद्ध कर्म से निवृत्त होता है, परन्तु दोषबुद्धि से नहीं । वह विहित कर्म का अनुष्ठान भी करता है, परन्तु गुण बुद्धि से नहीं ।
~अवधूत गीता (अध्याय १, श्लोक ११)

~ ज्ञानी के क्या लक्षण है?
~ जीवन में गुणबुद्धि कैसे आए?
~ जीवन में चैतन्य के साथ आगे कैसे बढ़े?
~ गुणबुद्धि युक्त कर्म कैसे करें?
~ मुक्तपुरुष कौन है?

संगीत: मिलिंद दाते
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