झूठी कामनाएँ, और सच्चा इश्क़ || आचार्य प्रशांत, कबीर साहब पर (2024)

  • 3 months ago
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वीडियो जानकारी: 31.03.24, संत सरिता, ग्रेटर नॉएडा

प्रसंग:
~ कामना और प्रेम में क्या भेद है?
~ कामना कहाँ से आती है?
~ कामना से मुक्ति कैसे मिले?
~ सब कामनाओं के पीछे एक बेचैनी क्यों होती है?
~ कामना के साथ समस्या क्या है?


हमन है इश्क मस्ताना, हमन को होशियारी क्या?
रहें आज़ाद या जग से, हमन दुनिया से यारी क्या?

जो बिछुड़े हैं पियारे से, भटकते दर-ब-दर फिरते,
हमारा यार है हम में, हमन को इंतजारी क्या?

खलक सब नाम अपने को, बहुत कर सिर पटकता है,
हमन गुरनाम साँचा है, हमन दुनिया से यारी क्या?

न पल बिछुड़े पिया हमसे, न हम बिछड़े पियारे से,
उन्हीं से नेह लागी है, हमन को बेकरारी क्या?

कबीरा इश्क का माता, दुई को दूर कर दिल से,
जो चलना राह नाजुक है, हमन सिर बोझ भारी क्या?

~कबीर साहब


संगीत: मिलिंद दाते
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