योग के नाम पर मज़ाक || आचार्य प्रशांत, अंतर्राष्ट्रीय योग दिवस पर (2022)

  • 17 days ago
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वीडियो जानकारी: अंतर्राष्ट्रीय योग दिवस, बातचीत सत्र, 20.06.2022, ग्रेटर नॉएडा

प्रसंग:
~ योग का वास्तविक अर्थ क्या है?
~ योग को कैसे समझें?
~ योग की सर्वोत्तम विधि कौन सी है?
~ क्या मन का आत्मा में स्थापित हो जाना ही योग है?
~ प्रचलित योग और वास्तविक योग में क्या अंतर है?

त्रैगुण्यविषया वेदा निस्त्रैगुण्यो भवार्जुन।
निर्द्वन्द्वो नित्यसत्त्वस्थो निर्योगक्षेम आत्मवान्।।

हे अर्जुन! वेद सत्त्व, रज, तम, इन तीन गुणों वाले हैं अर्थात् कामना-मूलक हैं। तुम इन तीनों गुणों से अतीत अर्थात् निष्काम हो जाओ। सुख-दुःखादि द्वन्द्वों से रहित, सदा आत्मनिष्ठ अर्थात् सदा धैर्यशील तथा आवश्यक वस्तु की प्राप्ति और उसकी रक्षा में प्रयत्न-रहित, स्वस्थ अर्थात् ईश्वर-अवलम्बी हो जाओ।

श्रीमद्भगवद्गीता (अध्याय २, श्लोक ४५)

श्रुतिविप्रतिपन्ना ते यदा स्थास्यति निश्चला।
समाधावचला बुद्धिस्तदा योगमवाप्स्यसि।।

जब अनेक प्रकार की लौकिक और वैदिक फल-श्रुतियों को सुनकर तुम्हारी विक्षिप्त हुई बुद्धि समाधि में निश्चल हो जाएगी तभी तुम समबुद्धि की योगावस्था को प्राप्त होगे अर्थात् तत्त्वज्ञान में प्रतिष्ठित हो सकोगे।

श्रीमद्भगवद्गीता (अध्याय २, श्लोक ५३)

संगीत: मिलिंद दाते
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