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00:00कुछ ज्यान की बाते हैं जीवन में हर किसी को नुक्षान तो होता ही है लेकिन नुक्षान से निपटने में सबसे जरूरी की है उस नुक्षान से मिलने वाले सबक को कभी न भूलना
00:23वही सबक आपको सही माईने में विजेता बना देगा
00:31यह तो प्रकृति ने बहुत से उपहार दिये है लेकिन इंसान को दिया गया सबसे बड़ा संगीत यंत्र की आवाज है
00:45लोग कहा करते हैं कि वे समझते हैं कि मैं क्या कहता हूँ और मैं सरर हूँ मैं सरर नहीं हूँ मैं इस्पश्ट हूँ
00:58हर कोई हर चीज का मुले लगाता रहता है कोई मुले तब मुलेवान है जब मुले का मुले स्वयम के लिए मुलेवान है
01:14कमजोर दुखी दरिद गरीबों सभी की सेवा करनी चाहिए और इससे कुछ पुन्ने ही मिलेगा लेकिन सबसे उच्छ कोटी की सेवा ऐसे व्यक्ते की मदद करना है जो बदले में आपको धन्यवाद कहने में आसमर्थ हो और धन्यवाद भी न कह सके
01:37अगर आप दूसरों को बदलना चाहते हैं ताकि आप आजाद रह सकें लेकिन ये कभी ऐसे काम नहीं करता दूसरों को स्विकार करना सीखिये तभी आप मुक्त होंगे तभी आप आजाद होंगे
01:54जो इन्सान सबसे कम स्विकार करता है और सबसे अधिक योगदान देता है वही परिपको होता है क्योंकि जीने में ही आत्मविकास नीत होता है देना सीखिये
02:15गीत व्यक्ति के मरम का आवां करने में मदद करता है और बिना गीत के मरम को चूना बहुत मुश्किल होता है संगीत दिल की आवाज है गीत उसके शब्द है जो आपके दिल तक पहुँचते है
02:36किसी भी इंसान का प्रभुद्ध होना ये कोई घटना नहीं हो सकती जो कुछ भी यहाँ है वो अध्वैत है ये कैसे हो सकता है ये इसपश्टता है हमें मालुम होना चाहिए कि भाग्य भी कमाया जाता है और थोपा नहीं जाता है ऐसी कोई भी कृपा नहीं है जो कमाई न
03:06जाती जाती रहे तो आप भावनात्वक रुख से अधिक समय तक खाड़े नहीं हो सकते हैं मैं तो सत्य का पालन करना पसंद करता हूँ बल्कि मैं आरों को उनके अत्मे भले के लिए सत्य से प्लेम करने और मिठ्या को त्यागने के लिए राजी करने को अपना कर्तव म
03:36सत्य कुछ समय के लिए जुप जाता है लेकिन पराजित कभी नहीं होता तूटता कभी नहीं है हर इंसान में अर्दे की साहन भूती होती है कोई धर्म उसे सिखा पढ़ाकर उसके अंदर की साहन भूती को नष्ट नहीं कर सकता
04:02कोई संस्कृति कोई राष्टवात कोई राष्ट कोई भी उसे चुन नहीं सकता क्योंकि ये साहन भूती है
04:12चात्र की योगिता, ज्यान अरजित करने के परती उसके प्रेम, निर्देश पाने की उसकी इच्छा, ज्यानी और अच्छे व्यक्तियों के परती सम्मान, गुरू की सेवा और उनके आदेशों का पालन करने में दिखती है
04:28बहुत बहुत शुक्रिये