Bhabi daver love

  • 2 months ago
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Transcript
00:00आप कुछ बोलेगा भी के बाक्यों के तरह सीधा कपड़े उतारेगा.
00:04कैसी बाते कर रहे हैं आप?
00:06तो किदर आये तुझे पता है न?
00:08यहाँ कपड़े उतरनी के बाते चलती है.
00:10तो किदर आये तुझे पता है न?
00:12यहाँ कपड़े उतरनी के बाते चलती है.
00:16अच्छा जी करते हैं, थोड़ टाइम दीजे, बहुत प्रेशार है हम पर.
00:20अच्छा बता, क्या हो गया? बीवी से जगड़ा करके आये है?
00:23अरे नहीं, कुआरे है.
00:26इसलिए तो आये हैं यहाँ पर, सिन्दूर लगाने.
00:28क्या?
00:29नहीं समझी, अब बीच मत कर दिया.
00:33हमारी दूबिदा सुन्ये, स्वीटी है हमारा साथ में भाव साथ.
00:35यहाँ संक्योला प्यार करते हैं उससे.
00:36कुण्ड़ी में है कन्यादोर्श, मतलब कुण्ड़ी में है,
00:38दो उर्थों के साथ शाधी और सम्बन्ध.
00:40हमारे दूबिदा सुन्ये ने हमसे कहा, यहाँ आओ काम भी हो जाएगा,
00:42और अपराज़ वाली फिलिंग भी नहीं आएगा.
00:44हम यहाँ पर आगए हैं, स्वीटी के अनूमती लेकर.
00:47अब आप बताये, जिस लड़के ने आज तक अपना नीचे का भाग नहीं देखा हो,
00:50यह सोच कर कि उस पर स्वीटी का आगए है, आज उसी को काफी के तरह बाते जा रहा है.
00:53मंग कर, स्राथ जला दे.
00:55कुण्ड़ी को?
00:57तेरा तो सॉलिट परॉबलम है.
00:59क्या करें, तब जिन्दगी बजाती है न, तो भाग मूट में बजाती है, रुखने का नान नहीं लेती,
01:05बजाती है, बजाती है, बजाती है.
01:13पुलिस वरे भी आते हैं क्या?
01:15नहीं रब बोली, ते कस्टमर लोग होते हैं.
01:18सबके अजीब और गरीब शॉक होते हैं.
01:21किसी को चाड़े में मज़ा लेना पैसंद है, किसी को बनदवाता है.
01:26हमें क्या हमारी तैसी लगी पड़ी है?
01:29अच्छा, अब मेरी बात आरांस.
01:33ये है तिल.
01:36और ये, जहाँ सबका दिमाग टकता है.
01:41स्मीटी तेरे दिल में है न, और उसकी जगा तो कोई नहीं ले सकता.
01:45बहुत बात दिमाग पाले जगे की, इसका आज के बाद भूल जाना, उस्सा ख़तम.
01:52सही सिखाया ना दिपका ने.
01:54बस सिखाया, लेकिन स्मीटी को मुझ क्या दिखाएंगे.
01:58अरे इसे छुपा के थोड़ी नाया है.
02:00गलत है.
02:02एक आदमी हजार गलत करके भी न, बड़े वाले बंगले में आरांसे रहता है.
02:05अरे एक आदमी हजार गलत करके भी न, बड़े वाले बंगले में आरांसे रहता है.
02:10और एक आदमी हजार सही करके, अपना पूरा लाइफ वैशा खाने में बिता देता है.
02:16और सुनना, अगर दो बढ़न का जो ना गलत हुता, तो ना तू हुता, ना मैं.
02:22दोस्त अटाने के लिए ये सिंदूर लगाना ज़रूरी है, दिपिका जी.
02:31हाँ, आपकी इजादत के बिणा में आगे नहीं बढ़ेंगे, आप इजादत नहीं देंगे, चुप-चॉप यूटिया मारके यहां से हम बाहर निकल जाएंगे.
02:37सला यह जो भी आता है, सीधा कपड़ा उतारने का बात कर रहा है.
02:40तु पहला है जो मांग भरने आया है.
02:43हमारे नसीब से सिंदूर का हम कुछी दिन खातम हो गया था, जिस दिन हमारी इस गली में एंट्री हुई थी.
02:49मर्दों का बोच दिपिका सालों से उठाती आ रही है.
02:52पर यह तेरे सिंदूर का बोच मैं नहीं उठा पाईगी.
03:04सोरी.
03:09हम यह पता नहीं आ किस बकलोली में आ गए.
03:12आपको हर्ट करने के मक्सद से नहीं आए था, अपने प्यार को वापस पाने के कोशिश पाए था.
03:16सोचा यह नहीं कि लाइफ में और भी परिशा देनी पड़ेगी.
03:24चलते हैं.
03:31रोक.
03:33तेरे और स्वीटी के प्यार के लिए थोड़ी देरे सिंदूर का बोज उठा लेगी, दिपिक.
03:39बक्का?
03:42क्योंकि हम वो जोड जबजस्ती टाइपा लड़के है नहीं.
03:45और मैं पूरी जोड जबजस्ती टाइपा ले हूँ.
03:49कसम करे थे स्वीटी के सामणे.
03:51किसे को छोई नहीं नहीं, kise ko chhoa nahin nahin,
03:52किसे को देखिंगे नहीं. kise ko dekhinge nahin.
03:53सब्ने में भी यह सब कुछ नहीं कर सकते. Sabne me bhi yeh sab kuch nahin kar sakte.
03:54पूरी जोर्यो बदस्ती टाइप पाले हूँ.
03:59कसम खायते स्वीटी के सामने.
04:01किसी को छोईने नहीं, किसी को देखेंगे नहीं.
04:02सपने में भी ऐसा कुछ नहीं कर सकते किसी के साथ.
04:04साला कुन्दी की रस्या में इसे करना पड़ रहा है.
04:07ठीक है. जो करेंगे, अंदा अखों में करेंगे.
04:16ठीक है. चल.
04:37रिजा, रिजा, रंग देना.
04:43रिजा, रिजा, रंग देना.
04:49रिजा, रिजा, रंग देना.
04:55रिजा, रिजा, रंग रिजा हो तिया.
05:07हुई जोगर मैं तिरी रंग गई
05:17भेस तेरी जोगिया
05:24मुझे ले चल, चालूगी दिस तेरे
05:30मैं दरिया सी खोरी रंग मिरा
05:41ना कोई जो मुझ में ना मिले
05:50रंग मेरा है वही
05:55रिजा, रिजा, रंग देना.
06:02रिजा, रिजा, रंग देना.
06:08रिजा, रिजा, रंग देना.
06:14रिजा, रिजा, रंग देना.
06:19उपिया, उपिया, उपिया...
06:50ना चुवा, ना देखा, और ना ही कुछ समझा।
06:55आखें बंद थी हमारे, फ़र ऐसा लगा के सब कुछ खुन गया।
07:01एक ऐसा द्वार जहां चरम सुक्की कोई सीमा ही नहीं थी।
07:05हमारे नीचे वाले दिमाग में दीपिका,
07:08और दिल में हमारी स्वीटी थी।
07:12पिंसिबाव साहाब, राजेंजल जी की खुज की मिठाई की दुकाण है।
07:16स्वीटी बिटिया की पूरी जिंदगी मिठाऽस से बर्पूर रहेगी।
07:23मिठाई से होती है डाइबर्टीज्, डाइबर्टीज् से होती है बौत,
07:27और मौत के सौदाकर हम।
07:29बेटा ललू, ये गन अंदर लेके जाओ।
07:32हाँ, हाँ ललू, तुम ना अंदर जाकर खेलो।
07:36देखो, पापा नएया कार लेके आये हैं, अच्छे अच्छे खिलोने, चलो, चलो।
07:39बेटा, चलो अंदर, बहुत सारे, देखे ना, कुछ भी, जा, जा, जा, देखो, अच्छे अच्छे खिलोने हैं, हाँ।
07:47वो क्या है ना कि, जब ये पेट में था ना, तभी हमने परेम चोपडा, रंजीत, और अम्रिस्पुरी का सनिमा देखे थे, इसलिए ऐसा है।
08:09हाँ, हाँ, हाँ, हाँ, हाँ, हाँ, हाँ, हाँ, हाँ, हाँ, हाँ, हाँ, हाँ, हाँ, हाँ, हाँ, हाँ, हाँ, हाँ, हाँ, हाँ, हाँ, हाँ, हाँ, हाँ, हाँ, हाँ, हाँ, हाँ, हाँ, हाँ, हाँ, हाँ, हाँ, हाँ, हाँ, हाँ, हाँ, हाँ, हाँ, हाँ, हाँ, हाँ, हाँ, ह
08:39हाँ, हाँ, हाँ, हाँ, हाँ, हाँ, हाँ, हाँ, हाँ, हाँ, हाँ, हाँ, हाँ, हाँ, हाँ, हाँ, हाँ, हाँ, हाँ, हाँ, हाँ, हाँ, हाँ, हाँ, हाँ, हाँ, हाँ, हाँ, हाँ, हाँ, हाँ, हाँ, हाँ, हाँ, हाँ, हाँ, हाँ, हाँ, हाँ, हाँ, हाँ, हाँ, हाँ, हाँ, ह