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दुनिया पर बुराई हावी हो जाती है, तब भगवान विष्णु धर्मियों की रक्षा और दुष्टों के विनाश के लिए श्री कृष्ण के रूप में दुनिया में अवतार लेते हैं।

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00:00प्राचीन समय की बात है।
00:03एक समुत्र के किनारे एक गुरु अपना आसरम बना कर रहा करते थे।
00:09हजारों शिष्यों से घ्यान क्रहने के लिए दूर दूर से उनके पास आकर रहते थे।
00:16गुरु का घ्यान देने का तरीका भी बड़ा ही अनूठा था।
00:21सुरुवात में वो अपने शिष्यों को उपदेशों के माध्यम से घ्यान देते थे।
00:26उसके बाद वो अपने शिष्यों को उस घ्यान का अनूसरन करने के लिए कहते थे।
00:32उस घ्यान को अपने वैवारिक जीवन में उतारने को कहते थे।
00:37एक बार उस आश्रम में एक समराट अपने बेटे को लेकर पहुंचा, उस समराट ने उस गुरू से प्रार्थना की
00:46कि आप मेरे बेटे को अपने आश्रम में रहने दे और अपने तरीके से उसे घ्यान दे।
00:54उसे इस आश्रम में बिल्कुल भी ऐसा नहीं लगना चाहिए कि वो किसी समराट का बेटा है।
01:01उसे बिल्कुल साधारन शिश्यों की तरह ही घ्यान देने की किरपा करें।
01:06गुरू ने मुस्कुराते हुए कहा कि समराट घ्यान इसी तरीके से लिया जा सकता है।
01:13अगर तुम अपने आपको दूसरों से बड़ा समझोगे तो तुम घ्यान क्रेंड नहीं करपाऊगे।
01:20अगर तुम्हें घ्यान क्रेंड करना है तो तुम्हें दूसरों की तरह अपने आपको साधारन समझना होगा।
01:27यही घ्यान क्रेंड करने की सबसे पहली सेडी होती है। तुम निष्चिंत रहो। आज से तुम्हारे बेटे की जिम्मेदारी मेरे कंदों पर रही।
01:39यह कहकर गुरू समराट के बेटे को अपने साथ लेकर समुद्र के किनारे तहलने के लिए निकल गए।
01:49आश्रम के बाकी सभी बच्चे उस समराट को देख रहे थे। समराट अपने बेटे को अपने रथ पर बिठा कर लाया था।
01:58जिससे सभी बच्चे समझ गए थे कि ये लड़का समराट का बेटा है। इसी वज़े से आश्रम के सभी बच्चे समराट के बेटे की तरफ आकर्षित हो गए थे।
02:11जब गुरू समराट के बेटे को लेकर समुधर पर तहल रहे थे तो समराट का बेटा अचानक फूट फूट कर रोने लगा क्योंकि अभी वो सिर्फ बारे वर्ष का था और बारे वर्ष की आयों में उसके पिता उसे अपने से दूर छोड़ कर चले गए थे।
02:31ये सद्मा वो बच्चा सेह नहीं कर पा रहा था वो नहीं समझ पा रहा था कि उसके पिता उसकी बलाई के लिए उसे उस गुरू के पास छोड़ कर गए हैं।
02:43उसे रोते हुए देखकर गुरू ने कहा कि बेटा मैं तुम्हे चुप नहीं करूँगा।
02:51हो सकता है कि आज में तुम्हारे आशु पॉंच दूं लेकिन कल तुम फिर अपने आपको अकेला पाऊगे।
03:00याद रखना जीवन में इनसान अकेला आता है और अकेला ही जाता है।
03:08जितनी चल्दी जो इनसान इस बात को समझ लेता है वो उतनी चल्दी आत्म घ्यान के रास्ते पर निकल बढ़ता है।
03:18गुरू ने अपनी बात आगे बढ़ाते हुए कहा कि जो इनसान अकेला रहना सीख लेता है वो ही खुद से प्यार कर पाता है।
03:29और जो खुद से प्यार करना जानता है वो किसी के भी जाने का अपसोस नहीं करता क्योंकि वो खुद से ही प्यार करता है।
03:39दीरे दीरे तुम आसरम के महूल में ढल जाओगे।
03:43शुरुआत में तुमें समस्या आ सकती है लेकिन कुछ दिनों के बाद तुम इसे आत्मसाथ कर लोगे।
03:51उसके बाद तुमें यही जगह बहुत अच्छी लगने लगीगी। यह जगह तुमें अपनी महल जैसी लगने लगीगी।
03:59संध्या हो जली थी, समुद्र के दूसरे छोर पर सूरज जिपने लगा था और अपनी लालीमा पूरे आसमान में भिखेर रहा था।
04:10बड़ा ही सुद्धर दिर्शे था और कुरु उस शिष्य को अपने साथ लेकर आसरम में वापस लोटाए।
04:18उस शिष्य को भी थोड़ी साथ वना मिली क्योंकि कुरु की आखों में एक अबूत पूरु शान्ती जलक रही थी और जब हम किसी एकांत वासी कुरु की आखों में वो शान्ती देख लेते हैं तो हमारे हिर्देबे से भी सारा भार हट जाता है, मन एकडम निर्मल हो जात
04:48तो आश्पास के सबी शिष्ये उसके पास आने लगे उन सबी को पता था कि ये समराध का बेटा है और अगर हम इससे तोस्ती कर लेते हैं तो उससे हमारा बहुत फायदा होने वाला है यही सोचकर आश्रम के ज्यादातर बच्चों ने उसे खेर लिया था बस कुछ बच्�
05:18करते थे वो उस समराध के बेटे के पास जाने की बजाए अपना पूरा ध्यान खाने पर लगा रहे थे और एकांत में बैटकर अपना बोजन कर रहे थे कुछ दिनों के बाद समराध के बेटे की आश्रम के ज्यादातर बच्चों के साथ दोस्ती हो गई अब वो आश्रम म
05:48सुक्स्रिदहों में पलावड़ा था आसपास बहुत से दास और दासियां होते थे आसपास अपने मित्रों
05:57से घिरे होना वही दिनचरिया उसने इस आश्रम में भी अपना ली थी ऐसा नहीं था कि गुरू को ये सब बता नहीं था पर गुरू
06:08मुझे अलग तरीके से घ्यान देना चाहते थे बच्चों को घ्यान आप उपदेश दे कर नहीं दे सकते उन्हें साखशातकार कराना पड़ता है उसके बाद उन्हें वो बात समझाती है जो आप समझाना चाहते हैं गुरू को ये बात पता थी कि अगर मैं इसे बोल कर बत
06:38पड़ता हूँ तो तुम्हें शक्तियों को जान पाओगे ये सीख देने के लिए गुरू एक दिन उस शिश्य को अपने साथ एक पहाडी की चोटी पर ले गए पहाडी पर पहुँचकर गुरू ने उस शिश्य से कहा कि अब तुम्हारा घ्यान पूरा हो चुक
07:08हो गया कि अब मैं वापस अपने राजमहल चला जाओंगा फिर से मेरे दास और दासियां सारी भोग की वस्तुएं मेरे पास होंगी उस शिश्य ने गुरू से पूछा कि गुरू जी मुझे आज रात आप यहां पाढी पर क्यों छोड़ रहे हैं आखिर मुझे कौन सा आ�
07:38आखिर मुझे कौन सा आखिर मुझे कौन सा आखिर मुझे कौन सा आखिर मुझे कौन सा आखिर मुझे कौन सा आखिर मुझे कौन सा आखिर मुझे कौन सा आखिर मुझे कौन सा आखिर मुझे कौन सा आखिर मुझे कौन सा आखिर मुझे कौन सा आखिर मुझे कौन सा आखि
08:08आखिर मुझे कौन सा आखिर मुझे कौन सा आखिर मुझे कौन सा आखिर मुझे कौन सा आखिर मुझे कौन सा आखिर मुझे कौन सा आखिर मुझे कौन सा आखिर मुझे कौन सा आखिर मुझे कौन सा आखिर मुझे कौन सा आखिर मुझे कौन सा आखिर मुझे कौन सा आखि
08:39मैं तुम्हारे पिता को कहे दूँगा कि ये बच्चा हमारे आश्रम का सबसे ज्यानी बच्चा है।
08:45ये कहकर गुरू अपने आश्रम में वापस लोटाए और वो बच्चा वही पर उस चटान के पीछे खड़ा हुआ उस बाज का इंतिजार करने लगा।
08:59काफी वक्त बीच जाने के बाद वहाँ पर एक बाज अपने बच्चों के साथ पहुंचा।
09:05सम्राथ के बेटे ने पूरी रात उस बाज की गतीविदी बड़े ही ध्यान पूर वक्ते की और सुबह होने के बाद जब सर्वाह वहाँ पर अपनी बेडों को लेकर पहुंचा तो उसने एक अभूत पूर द्रिश्य देखा।
09:23उसने देखा कि वो बाज बेड की एक मेमने को अपने बंजों में दबाकर हास्मान में उड़ गया। उसने उस बेड के बच्चे का शिकार कर लिया था। ये सारा द्रिश्य देखकर वो बच्चा आश्रम में वापस अपने गुरू के पास मुचा।
09:45इससे पहले कि गुरू से कुछ पूछते उसने गुरू को प्रनाम करते हुए कहा कि गुरू देव आप आश्रम के सभी बच्चों को यहाँ पर बुला लीजी। मैं सब लोगों को बताना चाहता हूँ कि मैंने क्या देखा।
10:01जब आश्रम के सभी बच्चे वहाँ पर पहुँच गए तो उस समराथ के बेटे ने कहना शुरू किया कि मैंने अपने जीवन में बहुत से पक्षियों को देखा है लेकिन बाज उन सभी पक्षियों में से सबसे अद्भूत और सबसे अलग होता है।
10:22उधारण के लिए एक तोता हम सभी ने देखा है तोता बोलता तो बहुत है लेकिन कभी उचा नहीं उडपाता लेकिन एक बाज जो की हर समय शांत रहता है वो आकाश को भी चू सकता है उसमें आकाश को भी चो लिने का सामर्थ्या होता है
10:46जब भी एक बाज अपने शिकार को निष्चित कर लेता है तो वो उसे शिकार पर अपने नजरें कड़ाए रहता है चाहे वो कितनी भी उचाई पर क्यों ना हो चाहे कितना भी पड़ा तुपान क्यों ना जाए लेकिन उसकी नजर हमेशा अपने लक्षे पर स्थिर रहती
11:16है चाहे कितनी भी अडचने क्यों ना आए हमें अपना लक्षे स्पश्ट दिखाई देना चाहीये
11:36दस बीस अलग अलग लक्षों में अपनी उर्जा बरबाद करने की बजाए हमें किसी एक लक्षे पर पूरी एकागरता के साथ ध्यान देना चाहिए
11:48तीसरी बात जो मैंने उस बाज से सीखी और जो हम सभी को सीखने चाहिए वो यह है कि बाज कभी भी दूसरे पक्षी के साथ नहीं उड़ता वो हमेशा आकाश में अकेला उड़ता है
12:04इससे हमें यह सीख लेनी चाहिए कि हमें कभी भी छूटी सोच वाले लोगों के साथ नहीं रहना चाहिए आकरकार हम भी वही बन जाते हैं जिनके साथ हम रहते हैं इसलिए या तो बड़ी सोच वालों के साथ रहो या फिर अकेले रहो
12:24क्योंकि जब हम अकेले रहते हैं तभी हम खुद की ताकत और खुद की कमजोरियों को जान पाते हैं कमजोरियों को जान कर उनको दूर कर सकते हैं और अपनी ताकत को जान कर उसका सही इस्तमाल कर सकते हैं लेकिन वो तभी संभाव होगा जब हम अकेले रहना सीखेंगे
12:46चोथी सीख जो हमें एक बाज से लेनी चाहिए कि एक बाज हमेशा अपनी सीमाओं से उपर उठकर उड़ता है जब तूभान आता है तो हर एक पक्षी अपने खोंसले की तरफ भागता है खुद को छुपाने की जगए डूंडता है लेकिन बाज ऐसा कुछ भी नहीं करता
13:16बेडे मारती हैं पंक उसके भारी हो जाते हैं पानी और धूल की वज़े से उसे कुछ दिखाई नहीं देता
13:23लेकिन वो फिर भी आस्मान की तरफ उड़ता रहता है और अंतते बादलों से भी उपर निकल जाता है और वहां तब तक उड़ता रहता है जब तक मौसम ठीक नहीं हो जाता
13:38अपने सीमाओं को सिर्फ इसलिए तोड़ पाता है क्योंकि वो समस्या के आने पर उससे कबराता नहीं है उससे डर कर बचने का प्रयास नहीं करता बल्की एक सखारातमक नजरिये के साथ उसका सामना करता है
13:55जीवन में चाहे कितनी भी अडचने क्यों ना आए हमें उन अडचनों से लड़ना चाहिए ना कि उनसे डर कर कहीं छिप कर बैठना चाहिए
14:06बहादूर तो वो लोग होते हैं जो तुफानों से टकरा जाते हैं कायर तो अपने घर में अपने घोंसले में अपने जगह डूंड कर बैठ जाते हैं
14:18पाज़ वी बात जो हमें एक बाज से सीखनी चाहिए कि बाज कभी भी अपने घोंसले में गास के कोमल तिंके नहीं रखता
14:28जो तिंके कोमल होते जाते हैं वो उन्हें निकाल कर फेकता रहता है
14:34उसी तरह चाहिए कितने भी आराम दाएक जिंदगी आपको मिली हो लेकिन उस आराम से उपर उठकर अपने आलश्य को तोड़कर जीवन में महनत करते रहना चाहिए
14:49जीवन में पसीना बहाना चाहिए शारेरिक महनत करने चाहिए
14:54अपने गोंसले से कोमल तिनके उठकर फेक दो और आज ही अपने आलश्य को तोड़कर निकल पड़ो
15:03हर दिन अपने आपको चुनोतियां दो हर दिन मुश्किलों से लड़ो क्योंकि वही मुश्किलें तुम्हें मजबूत बनाएंगी
15:12जंगल के राजा शेर को भी जुंड बना कर शिकार करते हुए देखा जा सकता है
15:18लेकिन बाज हमेशा अकेला शिकार करता है
15:22क्योंकि वो जानता है कि भीड हूसला तो देती है
15:26मगर सहस छील लेती है
15:29आदमी को हमेशा अकेले ही आगे बढ़ना होता है
15:32यही कारण होता है कि वो जल, थल और नब सभी जगहों पर अपने शिकार का परचम लहरा सकता है
15:41बाज की उम्र लगबग सप्टर साल की होती है
15:45लेकिन 40 साल में ही उसका सरीर बुड़ा हो जाता है
15:49नाखून उसके पैरों में दसने लगते हैं
15:52पंक उसके सरीर में चिपक जाते हैं
15:55उसकी चोज मुड़ जाती है उसका सरीर भारी हो जाता है
15:59ऐसी स्थेती में शिकार करना तो क्या
16:02उड़ने की भी हालत नहीं रहती उसकी
16:05ऐसे में उसके पास सिर्फ दो विकल्प होते हैं
16:10पहला या तो वो खुद की इस अवस्था को सुइकार कर ले और बूखा प्यासा मर जाये
16:17या किसी दूसरे जानोर का शिकार बन जाये
16:20और दूसरा विकल्प ये होता है कि वो छै महिने एक बहुत ही दर्धनाक प्रकिरिया से गुजरे
16:28और खुद को फिर से पहले जैसा मजबूत बना ले
16:32लेकिन बाज तो बाज है वो दूसरा विकल्प छुनता है
16:38इसके लिए वो खुद को एक बहुत ही उंचे भाड पर ले जाता है
16:43जहां वो पहले अपनी चोच से अपने सारे पंग खीच खीच कर उखाड देता है
16:50और फिर चट्टान पर पैर मार मार कर अपने पंजे तोड़ देता है
16:56उसके बाद उसी चट्टान पर अपनी चोच को पटक पटक कर तोड़ देता है
17:04और इस लहुलुहान अवस्था में खुद को दूसरे जानोरों से चुपाता पिरता है
17:11अगले 6 महिने तक वो इसी दर्दनाक प्रकिरिया से गुजरता है
17:16और इंतजार करता है नई चोच, नई पंक और नई पंचों का
17:21तब फिर वो अपनी नई जिंदगी शुरू करता है और निकल पड़ता है अपने शिकार पर
17:28और अगले 30 सालों तक फिर से राज करता है इसलिए समय आने पर हमें भी अपनी पुरानी आदतों को छोड़ना पड़ता है और कुछ नया सीखना पड़ता है
17:41समय के साथ बदलना पड़ता है अपने आप को तैयार करना पड़ता है वरना हमारा भी शिकार हो सकता है हम भी पीछे रह सकते हैं
17:52इसके बाद समराट के बेटे ने भेडों की विशेष्टा बताते हुए कहा कि भेड हमेशा जुंड में चलती है उन्हें जुंड में एक साथ चलने से हिम्मत मिलती है लेकिन जैसे ही उन पर शिकार होता है वैसे ही वो भेड तित्तर वित्तर हो जाती है और उस पूरी भे�
18:22साथ कितने भी लोग खड़े हुँ किसी पर भी यकीन नहीं करना यकीन करना तो खुद पर करना क्योंकि बुरा समय आने पर वो भीड कब तित्तर वित्तर हो जाएगी आपको पता ही नहीं चलेगा गुरू को प्रणाम करते हुए समराट के बेटे ने अपने गुरू से कहा
18:52गुरू ने सबी बच्चों को संपोधित करते हुए कहा कि ये सबी बातें जो अभी इस बच्चे ने बताई है सब सही है लेकिन ये सारी खुबियां आप लोगों में तब ही पैदा हो पाएगी जब आप अकेले रहने का भ्यास करेंगे आपने देखा होगा कि बाज कभी �
19:22किसी के साथ अपनी जोड़ी बना था वो आस्मान में अकेला उड़ता है और अकेला उड़ने की वज़े
19:29से वो अपनी ताकत और अपनी कमजोरियों को जान पाता है इसके बाद गुरू ने अपनी बात ख़त्म करते
19:38वे कहा कि मैं आज रात इस समराट के बेटे को इसके राजमहल में छोड़ने के लिए चाहा हूँ
19:46क्योंकि इसकी सीख यहाँ पर पूरी हो गई है और ये कहकर गुरू उस समराट के बेटे का हाथ पकड़कर
19:56राजमहल की तरब रवाना हो गई और बाकी के सभी बच्चे उन्हें पीछे से जाते हुए देखते रहे तो दोस्तों कैसी लगी है कहानी आपको कमेंट शेक्सल में जरूर बताना और अच्छी लगी हो तो इस सेनल को सब्सक्राइब करके नोटिफिकेशन बैल को जरूर �

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