Indian Constitution में इतने तरह के आपातकाल का है जिक्र | Constitution Murder Day | Expainer |Daily Line

  • 3 months ago

Indian Constitution में इतने तरह के आपातकाल का है जिक्र | Constitution Murder Day | Expainer


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Transcript
00:00भारत सरकार ने नोटिफिकेशन जारी करकर 25 जून की तारीक को सम्विधान हत्या दिवस गोशित कर दिया है
00:06केंद्रिय ग्रहमंत्री अमिच्छान ने सोषल मीडिया पोस्ट पे जरीये इस खबर की पुष्टी की है
00:11ग्रहमंत्री ने अपनी पोस्ट में लिखा है कि 25 जून 1975 को तकालिन प्रधानमंत्री इंद्रा गांधी ने
00:17तानाशाही दिखाते हुए देश में अपातकाल लागू किया
00:21भारतियल लोकतंत्र की आत्मा का गला घोटा बिनावजय लोगों को जेल में डाला और मीडिया की आवाज को दबाया
00:27इस कठना करम के बाद देश में एक बाद फिर इमरजन्सी के समय की चर्चा शुरू हो गई है
00:31तो वहीं सरकार के ताजा फैसले को लेकर राजनितिक घमाशान भी शुरू हो गया है
00:36कॉंग्रेस इस पर पूरी तरीके से हमलावर हो गई है चाहे राहू गांधी हो, क्रियंका गांधी हो या फिर जैराम रमेश सभी ने सरकार पर हमला बोल दिया है
00:44लेकिन क्या आपको पता है देश में कब और किन हलातों में इमरजिनसी या आपातकाल लगाया जाता है
00:49साथ ही क्या आप जानते हैं कि हमारे समिधान में कितने प्रकार की इमरजिनसी का जिक्र है और इन्हें कैसे लागू किया जाता है
00:56नहीं तो चलिए हम आपको इस बारे में आज के इस एक्सप्लेनर में विष्तार से बताते हैं
01:01नमस्कार मेरा नाम है मारतन सिंग और आप देख रहे हैं डेली लाइन
01:04मार्च 1975 यही वह समय भी था जब जैपरकास नाराणी के नित्रित्व में दिली की सड़कों पर लगभग 7.5 लाख लोगों की भीड इंद्रा गांधी के खिलाफ नारे लगा रही थी
01:19आजादी के बाद यह पहला मौका था जब किसी प्रधान मंतरी की खिलाफ इतनी बड़ी रेली निकाली गई थी और सिनहासन खाली करो की जंता आती है और जंता का दिल बोल रहा है इंद्रा का आसन दोल रहा है जैसे नारो से सारा देश भूज रहा था इसके बाद 26 जुन
01:49की रात में ही तटकालिन प्रधान मंतरी इंद्रा गांधी
01:51की अनुशंसा पर तटकालिन राषपती पकरुदीन अली
01:53एहमद ने सम्विधान के आर्टिकल 352 के तहट पूरे
01:55देश में आपातकाल लागू कर दिया था अपातकाल
01:57को भारतिय राजनीती का काला अध्याय भी काँजाता
02:07है बताय जाता है कि सरकार ने पूरे देश को एक बड़े
02:13जेल खाने में बदल दिया था अपातकाल के दोरान
02:17नाग्रिकों के मौलिक अजिकारों को अस्थगित कर दिया
02:21था इमरजन्सी में जीने तक का हट छीन लेने के लिए
02:24सुप्रीम कोट ने भी 2011 में अपनी गल्ती मानी थी
02:27सुप्रीम कोट ने 2 जन्वरी 2011 को ये स्विकार किया कि
02:31देश में अपातकाल के दोरान इस कोट से भी नाग्रिकों
02:33के मौलिक अधिकारों का हनन हुआ था. अपातकाल को
02:37लेकर इंद्रा सरकार पर गंभीर आरोप लगाये जाते
02:39हैं. इसमें बिना किसी आरोप के लोगों को हिरासत
02:42में लेना, बंदियों और राजनेतिक कैदियों को
02:44प्रताड़िक करना और बड़े पैमाने पर कानुनों
02:47को अवयद रूप से लागू करना शामिल था. देश में जिन
02:50परिस्तितियों में अपातकाल लगाया जा सकता है, उन्हें
02:52भारते सम्मिधान द्वारा परिभाशित किया गया है.
02:54भारते सम्मिधान द्वारा परिभाशित अपातकाल
02:57की तीन परिस्तितियां हैं, जिसे राश्पती द्वारा
03:00देश में लागू किया जा सकता है. तीनों को लागू
03:03करने की वजह भी अलग-अलग हैं, लेकिन जैसे नाम
03:06साथ है, इसे उन हालातों में लागू किया जाएगा,
03:09जब महोर समाने नहीं होगा. भारते सम्मिधान
03:12में तीन प्रकार की अपात-स्तितियां दर्ज हैं.
03:15राश्टिया अपातकाल यानि नेशनल इमरजन्सी,
03:18संबैधानिक अपातकाल यानि राज्य अपातकाल
03:22राश्टिया अपातकाल को तब लागू किया जाता है,
03:25जब देश के किसी हिस्ते में सुरक्षा को लेकर खत्रा होता है,
03:28जैसे दुश्मनों से जंग, किसी तरह का अटेक,
03:31आंतरीक कल, या बड़ी आपड़ा जब आती है.
03:34ऐसे हालात में नेशनल इमरजन्सी लगाई जाती है,
03:36भारतिय संविधान कानू 6352 देश में राश्टिय अपातकाल लागू करने का अधिकार देता है,
03:41राश्पती इसकी घोष्णा करते हैं.
03:43संविधानिक अपातकाल की अगर बात करें,
03:45तो इस तरीकी की इमरजन्सी को तब लागू किया जाता है,
03:48जब राज सरकार भारतिय संविधान का पालन नहीं करती हैं,
03:51और राज में संविधानिक संकट की स्थिती बनती है.
03:54ऐसे हालातों में राश्पती राज सरकार को अपने कंटरोल में ले लेते हैं,
03:58इसे ही राश्पती सासन कहा जाता है.
04:01यही वजए है, इसे संविधानिक अपात काल भी कहा जाता है.
04:04भारतिय संविधान का अनु 6355 कहता है,
04:07केंडर का कर्तव यह सुमिश्चित करता है,
04:09कि प्रतेक राज की सरकार भारतिय संविधान के प्रावधानों के अनुसार हो.
04:12लेकिन यदि राजी अपना कर्तव पूरा करने में विफल रहता है,
04:15तो अनु 6356 के अनुसार,
04:18केंडर राज सरकार को अपने नियंतरर में ले सकती है.
04:22राजपती सासन लागू करने की घोषना को जारी होने के तिति से,
04:25दो महिने के भीतर उच सदन और निचले सदन दोनों द्वारा अनुमूदित किया जाना चाहिए.
04:30ऐसे हलात में राजपती की निग्राणी में राजपाल सासंग बेवस्था चलाते हैं.
04:34वहीं वित्ति अपातकाल की इस्तिति तब बनती है जब देश की वित्तिय या रिणपड़ाली में अस्थिरता कैदा हो जाती है.
04:40सरकार के पास देश चलाने के लिए परयापत पैसा नहीं होता, ऐसे हलात में वित्ति अपातकाल की घोषना की जाती है.
04:46वित्ति अपातकाल का जिक्र भारतिय संविधान पे अनुच्छेत 360 में किया गया है.
04:51भारत में अपातकाल लगाना एक कठिन कदम है, जो समाने लोकनांत्रिक प्रक्तियाओं को निलंबित कर देता है और सरकार को असाधारन सक्तिय प्रदान करता है.
05:00जबकि अपातकाली इस्तितियों का उदेश राष्ट के लिए गंभीर खत्रों से निपटना है, उन्हें लोकनांत्र के सिधान तो और बेक्तिकत आधारों पर उचित भेवार करते हुए विवेत पून तरीके से प्रयोग किया जाना ताइए.
05:12संविधान एक रूप रेखा प्रदान करता है जो उन विशिस्ट परिस्तितियों को रेखांकित करता है जिनके तहट अपातकाल लगाया जा सकता है यह सुनिश्चित करते हुए कि इसका दुरप्योग नहीं किया जाता है और इसका उप्योग असाधारन इस्तितियों तक ह

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