• 3 months ago
Chidiya Wala Cartoon | कार्टून चिड़िया | Episode New | Tuni Achi Cartoon | Hindi Kahani
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Transcript
00:00गुर्या की मम्मा, कल त्यार हो जाना
00:02कल हम गुर्या को मेला दिखाने लेकर जा रहे हैं
00:05ये सुनकर गुर्या अपने पापा के गंधों पर जड़ जाती है
00:10पापा, मेरे पापा, मेरे पापा बहुत अच्छे है
00:14और मुझे चूड़ियां भी लेकर देंगे ना वहाँ से
00:17हाँ हाँ, ले ले ना चूड़ियां भी
00:20गोरी, तुम भी चलो, कालू भाई से कहो के त्यार हो जाए
00:24सब इकर थेल जाएंगे, तो बहुत मज़ा आएगा
00:27तुम मेला देखने की बात कर रही हो
00:30गर में एक आना भी नहीं है, जिससे मैं एक डाइम का खाना ले सकूं
00:34आप कालू भाई से कहे ना के कोई काम धन्दा कर ले
00:38वो सारा सारा दिन घॉंसले में सोई रहती है
00:41चुड़िया तुम्हारे पती की तरहां मेरे पती को काम करने की आदज नहीं है
00:46चुड़ी चिकारी कर के ले आता है और मैं हांडी बना लेती हूं
00:50कालू, वो चुड़िया अपने पती के साथ मेला देखने जा रही है
00:55तो तुम भी चली जाओ साथ, देखाओ मेला
00:58पैसे तेरा बाब देगा, बिना पैसों के कौन मेला देखने देता है
01:03क्या तुम मुझे ले जाओगे
01:05ना भी ना, मेरे पास इतने पैसे नहीं के मैं मेले देखता फिरूं
01:11मेरी तो किस्मत ही खराब थी, जो तुम से शादी हुई
01:15एक वो चोटी चुड़िया है, के हर समय माज करती है, खुश रहती है
01:20तुम हर समय उस चुड़िया की खुशियों से ही जलती रहा करो
01:25दूसरे दिन चुड़ियाओं का परिवार मेला देखने जला जाता है
01:30गुढ्या बड़े छूले पर बैठकर बहुत खुश होती है
01:34वो सब ट्रेन पर बैठते हैं
01:38वहाँ से पानी पूरी खाते है
01:41और गुढ्या मिठाई खाकर बहुत खुश होती है
01:45गोरी बेहन ये लो मिठाई हम मेले से लाए है
01:49ले जाओ अपनी मिठाई मुझे नहीं चाहिए
01:52हर समय मेरा दिल जलाती रहती हो
01:55गोरी दूसरों को देख देखकर जलने से अच्छा है
01:59आप खुद मेहनत करो
02:01चिर्या मिठाई लेकर चली जाती है
02:04चिर्या की बच्ची, खुश तो मैं तुझे भी नहीं रहने दूँगी
02:07मेरे कालू की तरहां, तेरा पती भी होगा आलसी और खराब
02:13कालू, मेरे साथ चलो, मुझे आज अपनी सहेली पिंकी से मिलने जाना है
02:18पिंकी से रुको, मैं थोड़ा त्यार हो लूँ
02:22फिर कालू कवा त्यार हो जाता है और दोनों पती भतनी अपने घर से निकलते हैं
02:29पिंकी सेहली, वो चुरिया जिसकी तुमने बात की थी, उसका घॉंसला कहा है
02:35उसका घॉंसला, वो सामने वाले पेड़ पर है, मैं बुला कर लाऊं उसे
02:41नहीं, रहने दो, मैं खुद जाती हूँ, कालू, तुम यहां ही रुको
02:47लाटो, जैसे भी हो, तुम उस चुरिया के पती को पता लो
02:51और उस चुरिया के खुशिया मट्टी में मिला दो
02:54अगर मैं अपना काम अच्छे से करूँ, तो तुम मुझे क्या दोगी?
02:59मैं तुम्हें लकडियों का पक्का घर बना कर दूँगी, अगर तुम मेरा काम कर दो दो
03:05तो फिर समझो, वो चीड़ा तो गिया काम से
03:08मैं कल ही जाओंगी और उसे दूर कर दूँगी, उसकी पतनी और बच्चों से
03:14पिंकी जी, आप इन तिंकों के घोंसले में क्यों रहती हो?
03:19मेरे पास पक्का घर नहीं है ना, इसलिए
03:22जब से मेरा पती मरा है, बहुत मुश्किल शे दिन गुजर रहे है
03:27तुम चींता ना करो, मैं बना दूँगा, तुझे पक्का घर मैं बना कर दूँगा
03:33क्या सच कालू, क्या तुम मुझे पक्का घर बना कर दोगे?
03:38हाँ, मैं कल ही आउंगा, वो आगई गोरी, गोरी के सामने बात ना करना
03:44गोरी भी पहन जाती है
03:47गोरी सहेली, हो गई बात लाडो से?
03:50हाँ, की तो है, अब देखो, लाडो कैसे उस चुडिया को रुलाती है
03:56दूसरे दिन सुभा सवेरे ही, कालू कवा अपने घर से निकलता है
04:01और पिंकी कवी की तरफ जाता है
04:04और लाडो चुडिया, रानो चुडिया के पती को बटाने के चकर में घर से निकलती है
04:10मैं शाम को अपनी बेटी के लिए समोसा और मिठाई लेकर आउंगा
04:15और मेरे लिए क्या लाओगे आप?
04:17आपके लिए गरम गरम जलेबी
04:20पापा चुडिया अपने घर से निकलता है
04:23नधी पर लाडो चुडिया, पापा चुडिया को आवाज दे दी है
04:28आप, आपने मुझे आवाज दी क्या?
04:31हाँ, मैंने आपसे कोई बात करनी है
04:34बताये, बताये क्या बात करनी है आपको मुझसे?
04:37मेरे दो आमों के पेड हैं
04:40और अपना बड़ा सा पक्का घर भी
04:42मैं शादी करना जाहती हूँ
04:44क्या तुम मुझसे शादी करोगे?
04:46शादी? नहीं, नहीं, मेरी शादी हुई हुई है
04:50मेरी तो एक सुन्दर सी बेटी भी है
04:52तो फिर क्या हुआ?
04:54मैं दूसरी शादी की बात ही तो कर रही हूँ
04:57आप, आप जाये यहां से
04:59बलके मैं ही चला जाता हूँ
05:01पापा चड़िया और बात बढ़ाये बिना
05:04वहां से चला जाता है
05:07उधर कालु कवा पिंकी कवी से प्याल भरी बातें कर रहा था
05:12क्या तुम्हारे पास लकडियां हैं घर बनाने के लिए?
05:16लकडियां तो जंगल से लाना होंगी
05:19तो फिर चलें, तुम मेरे साथ होगी
05:22तो काम आसान हो जाएगा
05:25कालु कवा पिंकी कवी को साथ लेकर जंगल से लकडियां लेने चला जाता है
05:30तुम यहां अराम से बैठ जाओ और मैं काटता हूं लकडियां
05:35कालु कवा फुल्हाले से लकडियां काटने लगता है
05:40और फिर थोड़ी दूर एक पेड़ पर उसे एक पका हुआ आम नज़र आता है
05:45कालु कवा वो आम तोड़ता है
05:49और पिंकी को देता है
05:51मीठा आम आपके लिए
05:54इतना मेहनती, इतना अच्छा कवा मेरी सोहेली को मिला है
05:59वो तो बहुत भागेशाली है
06:02कहा, वो तो मुझसे प्यार ही नहीं करती
06:05हर समय मुझसे लड़ाई करती रहती है
06:08पिंकी, अगर तुम जाहो
06:11तो हम दोनों एक साथ रह सकते हैं
06:14क..क..क्या मतलब, वो कैसे
06:17तुम मुझसे शादी कर लो
06:20मैं ऐसे ही सारी उम्र तुम्हारे काम करूँगा
06:23मिठाया लाला कर घिलाऊँगा
06:26और तुम्हारी सेवा करूँगा
06:29मगर गोरी मेरी सहेली है, वो क्या सोचेगी
06:32सोचना क्या, दोनों सहेलीं एक साथ रहना
06:37फिर कालु कवा लकडियां उठाता है
06:40और जाकर पिंकी के लिए घर बनाने लगता है
06:45लाडो, कहां तक पहुँझा मेरा काम
06:48लाडो, मैं बहुत जलती हूँ उस चुड़िया से
06:51जाब तक उसका घर बरबाद नहीं होता
06:54मेरे दिल को सकून नहीं होगा
06:56गोरी, सच बताओ, चुड़िया के उस परिवार में
07:00बहुत प्यार है, सचा प्यार
07:02मैंने रानो चुड़िया के पती को
07:04अपने जाल में फंसाने की पूरी कोशिश की थी
07:07मगर वो मेरी कोई बात सुने बिना ही चला गया
07:10इसका मतलब वो चुड़िया ऐसे ही हसती बसती रहेगी
07:15और मैं उसे देख देख कर जलती रहूँगी
07:18लगतो ऐसे ही रहा है
07:20अच्छा तुम्हारा पती आज पिंकी के पास क्या कर रहा है
07:24कालू, कालू पिंकी के पास है
07:27हाँ, मेरी बढोसन तुम्हारी सेहेली पिंकी के पास
07:32वो मुझे तो बता कर नहीं गया
07:34शाम को पूछूंगी उसे
07:36पिंकी, छोड़ो इस घर को
07:39अगर मुझसे शादी करनी है तो आज ही कर लो
07:43मैं समझा लूगा गॉरी को
07:46अगर गॉरी ने मुझसे लड़ाई की
07:48तो मैं एक दिन भी तुम्हारे घर में नहीं रहूँगी
07:51ऐसा कभी नहीं हाँगा
07:54फिर कालू कवा पिंकी से शादी कर लेता है
07:58और बिहाकर उसे अपने साथ ले जाता है
08:02कालू ये ये क्या है
08:05पिंकी तुम तुम इन शादी वाले कपड़ों में
08:09तुम अपने पती जी से ही पूछ लो
08:12ये मेरी दूसरी पतनी है
08:14मैंने पिंकी से शादी कर ली है
08:17ये सुनकर गोरी के तो हाशी उड़ जाते है
08:21कालू तुमने दूसरी शादी कर ली और मुझे बताया ही नही
08:26और बेगायरत कवी तू तू तो मेरी सहेली थी
08:30बस बस गोरी बस बहुत हो गया
08:34अगर मेरी दूसरी पतनी जी के बारे में
08:37एक शब्द भी जूबान से निकाला तो जूबान खेंच लूँगा मैं तुम्हारी
08:43पती जी इतना भी ना ढान्टे मेरी सोतन को
08:47सहेली है मेरी आखिर
08:49गोरी अपना सर पकड़ कर बैठ जाती है
08:53ना मैं जुडिया के पती की दूसरी शादी करवाने के लिए तुम्हारे पास जाती
08:58और ना आज मेरे पती की दूसरी शादी होती
09:02हा हा हा हा सच सच कहा तुमने
09:06गोरी ये आईडिया मुझे तुम्हे देख करी आया था
09:10कैसा लगा मेरा ये सरप्राइज
09:13बहुत अच्छा लगा जो बोया वो काटना तो होगा
09:18फिर गोरी कवी रोने लग जाती है
09:21और दुखी हो जाती है
09:23और अपने किये पर प्रस्थाती है
09:30वो सूखा पेड काफी मजबूत था
09:33इसलिए रानो चिरिया ने लंबे समय से
09:36उस पर अपना घोंसला बनाया हुआ था
09:39चिरिया के पड़ोस में कुछ दिन पहले ही
09:41दो कवे आकर आबाद हुए थे
09:44जो किसी ना किसी तरहा चिरिया को वहां से भगाना चाहते थे
09:48कालू जी, अगर हम चिरिया का पेड कार दें
09:51तो चिरिया रोती हुई यहां से जली जाएगी
09:54है, मेरे मामा जी के पास कुलहाडा भी है
09:58मैं आज ही मामा जी से कुलहाडा ले कर आता हूँ
10:01और कार देता हूँ उस चिरिया का पेड
10:04चिरिया अपने घोंसले से निकलती है
10:07और दाना लेने जली जाती है
10:10कालोगवा भी कुलहाडा लेने अपने मामा जी के पास पहन जाता है
10:14मामाजी, मामाजी मुझे थोड़ी देर के लिए अपना कुल्हाडा तो दे दे
10:20आज मैं उस चुरीया का पेड़ काट दूँगा
10:23काट दो पेड़ और घीरा दो उस चुरीया का घोंसला
10:27वो चुरीया तो हर समय चू चू ही करती रहती है
10:31मामा जी, गोरी भी बहुत अंध है उस चुड़िया की आवाज से
10:36कालु कवा कुल्हाड़ा लेकर चला जाता है
10:39वो अभी दाना लेने गई हुई है शाम को ही लोटेगी
10:43कालु तुम जल्डी-जल्डी ऐसे चुड़िया की आने से पहले-भेले
10:47उसका पेड़ कार दो, और गोंशला गिरा दो
10:51कालु कवा चुड़िया के पेड़ पर कुल्हाड़ा चलाता है
10:54और गोरी कव़ी ऊंचे पेड़ पर बैठ कर चुढ़ियापर नजर ढखती है
10:59थोड़ी देर बाद चुढ़ियाका पेड़ गिर जाता है
11:03और सात ही चुढ़ियाका घोंसला भी गिर कर तूट जाता है
11:07हँहुँँ..आब तो वो चृडिया यहां से भाग ही जाएगी
11:12जब चृडिया शाम को अपना दाना लेकर आती है
11:16तो अपना पेड कटा हुआ देखकर हेरां हो जाती है
11:20ये किसने मेरा पेड कार दिया
11:23कोई इनसान लकड हारे आया होगा
11:25ये काम इनसान का ही लगरहा है
11:28कवी और कहबा भी वहां आ जाती हैं
11:31बहुत रोकाँ !
11:33चुडिया , मैने इनसा�уют लकड़हारे को बहूत रोका
11:36मनि उसने दुमारा पेड काड दिया
11:39कवी अगर इन्सान लकड़हारे ने मेरा पेड़ काटा है तो वो पेड़ को यहां क्यों छोड़ गया
11:45पेड़ काटने के बाद उसे ये पेड़ पसाद नहीं आया होगा
11:51चुढ्या चुढ्या, तुम यहां से छली जाओ
11:53और पच्छम वाली दिशा जाकर अपना निया घॉंसला बनालो
11:57नहीं नहीं कवी बहहं
11:59मैं यहां लम्बि समय से रह रही हूं
12:01मैं यहाँ से नहीं चाने वाली
12:03मैं तो यहाँ ही रहूँगी।
12:05चुरिया ऐसे कहते हुए वहाँ से उड़ जाती है।
12:09कालू जी अब ये चुरिया क्या करने वाली है।
12:13सुना है चुरिया बहुत स्यानी होती है।
12:16देखो अब ये क्या करती है।
12:19रानो चुरिया किसान की पतनी के पास जाती है।
12:24मा जी किसी ने मेरा पेड़ कार दिया है।
12:27आँ मुझे अपनी बैल कारी दे।
12:29मैं वो पेड़ लाकर लकड़ारे से कहती हूँ
12:32कि मुझे वो पेड़ अपने आरे पर चीर दे।
12:35चुरिया उस पेड़ से तुम क्या बनवाना चाहती हो।
12:38मा जी मैं अपने लिए पक्का लकड़ों का घर बनाओंगी
12:42जो कभी न तूटे।
12:44मेरा पुराना घोंसला तिंकों का था
12:46जिसमें हर समय मैं डरती रहती थी।
12:49ठीक है आप जाये मैं किसान को भेशती हूँ
12:52वो जाएगा और आपका पेड़ उठा लाएगा।
12:55फिर चुरिया चली जाती है
12:58और किसान की भतनी किसान को चुरिया का पेड़ उठाने भेश देती है
13:03किसान चुरिया का पेड़ बैलकारी पर लाथ कर ले जाता है
13:08चुरिया भी किसान की बैलकारी पर बैठ जाती है
13:12ये चुरिया जरूर इस पेड़ से कुछ बन वाएगी
13:16हमने तो सोचा था कि चुरिया यहाँ से भाग जाएगी
13:19मगर मुझे तो लगता है चुरिया कोई नेवा ही काम करने वाली है
13:24लकड़ हारे इनसान चुरिया के पेड़ का चिर देता है
13:28खुर्या खुर्या ये लकड़ी ज़्यादा है
13:31तुम्हारा घर बनाकर जो लकड़ी बचेगी
13:34मैं इसे तुम्हारे लिए एक सुन्दर सी नाओ बना डेता हूँ।
13:38लकड़ हारे इंसान जी फिर तो मेरी सिंदगी बहुत आसान हो जाएगी
13:43शाम के बाद चुड़िया अपनी नाओ और पक्का लकड़ियों का घर लेकर वापिस बहुं जाती है
13:55किसान जी यहां रख दें इसी जगापर मेरा पेड़ था
14:00चुड़िया अपना घर कटे हुए पेड़ के उपर रखवा लेती है
14:05अब ठीक है
14:08किसान अपनी बैल गाड़ी लाथ कर वापिस चला जाता है
14:12कालू कालू जी वो देखो क्या हुआ चुड़िया ने तो पक्का लकड़ियों का घर बना लिया है
14:20वो तो पहले से भी ज्यादा सरक्षत हो गई है
14:23और और वो देखो उसके पास नाओफ भी है
14:28कालू जो भी हो जाए ये चुड़िया हमसे जीत नहीं सकती
14:32इसे तो मैं यहां से भगाओ कर ही दम लूँगी
14:36चुड़िया अपने घर में मीठी नीन सो जाती है
14:40और फिर दूसरे दिन चुड़िया अपनी नाओफ में बैठकर नदी से मचलियां पकरती है
14:46अब मैं ये मचलियां जंगल के बाजार में बेश दूँगी
14:50और मुझे अच्छा मनाफ़ा होगा
14:52फिर चुड़िया वो मचलियां जंगल के बाजार में ले जाती है
14:56चुड़िया की मचलिया थोड़ी ही देर में बिक जाती है
15:00कालू हम चुड़िया को किसी ना किसी तरहां
15:03मगर मच वाले टापू पर भेज देते हैं
15:06जब चुढ़िया मचलिया पकरने वहां जाएगी
15:08तो मगर मच चुढ़िया को खा जाएगे
15:11और हमारी चुढ़िया से जान छूट जाएगी
15:14मैं अभी जाकर चुढ़िया को मगर मच वाले टापू पर भेज देता हूँ
15:19फिर कालू कवा चुढ़िया के पास जाता है
15:23चुढ़िया अपनी नाओ यहां लाओ किनारे पर
15:27चुढ़िया किनारे पर आ जाती है
15:30तुम सुभा से बैठी हुई हो और अभी तक केबल दो ही मचलिया पकड़ी है
15:35तुम ऐसा करो पूर वाले टापू पर चली जाओ
15:39वहाँ इतनी मचலिया है कि तुम्हारी नाओ ही भर जाएगी मचलियां से
15:45अगर ऐसा है तो मैं अभी पूर वाले टापू पर चली जाती हूं
15:50चिर्या अपोनी नाओ घुमाती है
15:52और पूर वाले टापूविलिन तरफ चली जाति है
15:56वहाँ तो कोई म मछली नही थी
15:58चिर्या काफी देर इंतजार करती है
16:01और फिर उसे पानी में अपनी तरफ एक मगरमच आता दिखाई देता है
16:07चिर्या जल्दी से नाव टापू के साथ लिगाकर टापू पर चली जाती है
16:13मैं बच गई अगर थोड़ी देर हो जाती तो वो मगरमच मुझे खाने ही वाला था
16:19चिर्या उस टापू पर थोड़ा और आगे जाती है
16:23और उसके नजर एक आम के पेड़ पर जाती है
16:27जिस पर सोने के आम लगे हुए थे
16:30सोने के आम
16:32यह तो कोई जाधूही टापू है
16:34जिस पर सोने के आम है
16:36मैं यहاँ से कुछ सोने के आम ले जाती हूं
16:39और फिर साडि सिंदगी मुझे मच्चिया पकरने की
16:42कोी सरूरत नहीं पढ़ेगी
16:44चिर्या कुछ सोने के आम दोरती है और अपनी नाव में रख लेती रहा है
16:49और मगर मच के वहाँ से जाने का इंतजार करती है
16:54जब मगर मच दूसरी दिशा में जाता है तो चुरिया जल्लीसे अपनी नाव में बहत कर
17:00नाव को भगाती है
17:02थोड़ी ही देर में चुड़िया अपने जंगल पहुँँ जाती है
17:06कालू, वो देखो चुड़िया तो वापिस आ गई है
17:10उसे तो मगर मच ने भी नहीं खाया
17:13वो बच गई, मुझे विश्वास नहीं हा रहा
17:18कालू और गोरी चुड़िया के पास जाते हैं
17:21कालू कवे और कवी बहुत-बहुत धन्यवाद मुझे उस ठापू पर भेजने के लिए
17:27कवा और कवी एक दूसरे की मुँ की तरफ देखने लग जाते हैं
17:32चुड़िया चुड़िया, वहाँ मगर मच भी थे
17:35हाँ, मैं मगर मच से बच गई
17:38मगर देखो, मुझे वहाँ से ये सोने के आम मिले है
17:42आज के बाद मैं कभी मचलिया पकरने नहीं जाओंगी
17:46चुड़िया सोने के आम लेकर अपने घर जली जाती है
17:50कवा और कवी तो और भी परेशान हो जाते है
17:54कालू, हम जितना भी बूरा चाहें
17:57इसे चुड़िया का अच्छा ही होता है
18:00हाँ गोरी, इसलिए मैंने सोचा है
18:03कि आज के बाद हम चुड़िया से दोस्ती कर लेंगे
18:07और उसका बूरा नहीं जाहेंगे
18:10फिर कवा और कवी निराश होकर अपने घर चले जाती है

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