• 4 months ago
Chidiya Wala Cartoon | कार्टून Dkhao | Episode New | Tuni Achi Cartoon | Hindi Kahani
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Transcript
00:00मैना ये तो सोணे का अण्ड़ा है
00:02ये आपके घोंसले में कहांचयाया
00:05सहेली, मैं हर पुनम की रात को दो अण्डे देता हूँ
00:08एक अंडा मेरा होता है
00:10और दूसरा अंडा ये सोने का
00:12और आपि सोने के अंडे का क्या करती हों
00:14हम पक्षियों के किस काम का ये सोना
00:17मैं ये अपना सोने का अंड़ा नदी में गिरा देती हूँ
00:20शायद किसी मचली को इसकी जरूरत हो
00:23चुड़िया अपनी सहेली मैना से मिलकर वापिस आ रही थी
00:28कि रास्ते में चुड़िया को दोदा मिल जाता है
00:31चुड़िया चुड़िया सब जा रहे हैं तुम भी हमारे साथ चलो
00:35कालू कव्य के साथ जा रहे हैं सब
00:38कालू कव्य के साथ मगर कहा?
00:41आम खाने उससे मालूम है कि आम का पेड़ कहा है
00:45जिस पर पके हुए मीथे मीथे आम लगे हुए है
00:48तोदे की बात सुनकर चुड़िया भी तोदे के साथ चल दे दी है
00:52वो सब उड़ते हैं और उड़ते उड़ते
00:55इनसान के खेत में पहुँझाते हैं
00:58वहाँ एक आम का पेड़ था
01:00वो सब उस आम के पेड़ पर जा कर बैठ जाते हैं
01:03ये पेड़ तो मुझे किसी इन्सान का लगता है
01:06इंसानों से पहले ये साप पेड़ पोदे जंगल हमारे ही थे
01:11इंसानोंने तो कभजा किया हुआ है इन पर
01:14छोड़ो चुड़िया इन बातों को आम खाओ आम
01:18फिर वो सब आम खाने लगते हैं
01:21शूं की आवाज आती है और एक पथर सीधा आकर चुडिया के पंग पर लगता है
01:29सब उड़ जाती हैं मगर ममा चुडिया गिर जाती है
01:33वो सीधी पेड़ से नीचे गिरती है
01:36किसान हास से ताली बजाता हुआ आगे भडता है
01:40भागो भागो भाग जाओ
01:42मेरे सारे आम काट कर खराब कर दिये हैं तुम पकशीयाने
01:46पकशी तो पहले ही भाग गय थे
01:48सिवाई उस चुडिया के जो घाईल हो गय थी
01:52और बे आसरा जमीन पर गिरी पड़ी थी
01:55किसान आकर चुडिया को उठा लेता है
01:59चुडिया का दिल तेजी से धड़क रहा था
02:19किसान जल्दी से चुडिया को घर ले जाता है
02:22उसे पानी पिलाता है
02:29मैंने पत्धर सिर्फ पकशियों को उड़ानेगे लिए फैंका था
02:33क्या पथा था कि पत्धर सीधा चुडिया के पंक पर लग जाएगा
02:37चुडिया की आन्खे बंद थी
02:39और वो अपने बच्चों को पूकारे जा रही थी
02:42मेरी गुरिया, मेरा कूकू, मेरे बच्चे, मेरे बच्चे मेरा इन्तजार कर रहे होंगे
02:50बेचारी कैसे अपने बच्चों को याद कर रही है
02:54मैंने पांख पर बढ़ती है, ठीक हो जाएगी चुड़िया
02:58अच्छा अब तुम जादा चिंता ना करो, पक्षी है, ये कौन सा कोई इंसान है
03:04भागता हुआ किसान का बेटा घार आता है
03:07चुड़िया, मम्मा, मम्मा, ये चुड़िया कहां से आई है
03:11तुम्हारे पिता ने बथर मार कर घाईल कर दिया है इसे
03:15मेरी किता में लिखा है कि पक्षीं को दोस बनाओ तो वो भी आपके दोस्त बन जाते हैं
03:21इन्हें भी हमारी तरहां दकलीफ होती है
03:24फिर पिता जी, आपने चुड़िया को घाईल क्यूं किया
03:27चुड़िया चुड़िया चुड़िया अब चुड़िया का पीछा छोड़ो
03:30मैंने कहा है मुझे खाना ला कर दो
03:33किसान का बेटा चुड़िया को उठा कर अपने कमरे में ले जाता है
03:38और उसे बहुत प्यार से अपने बिस्तर पर लिटा देता है
03:43और उसे देखने लगता है
03:45थोड़ी देर बाद चुड़िया आँखें खोलती है और डर जाती है
03:50डरोना चुड़िया मैं किसान का बेटा हूँ
03:53मैं आपके मदद करूँगा
03:55मैं आपको आपके बच्चों तक छोड़ कर आउंगा
03:58मगर मैं उड़ नहीं सकती
04:00मेरा तो पंख गाईल है
04:02दवा लगा दिये आपके पंख पर और पटी भी बान दिये
04:06कल तक सब ठीक हो जाएगा
04:08अब आप सो जाओ
04:10मैं भी आपके पास ही हूँ
04:12गुर्या बहन मम्मा अभी तक नहीं आई
04:16अब तो रात हो गई है
04:18पहले तो मम्मा अब तक लोट आती है
04:21मैं भी मम्मा का ही सोच नहीं थी
04:23गुर्गु भाई आप घर में ही बैठें
04:26मैं अभी बढोसी कवे से पूच कर आती हूँ मम्मा का
04:30चिर्या को गाईल चोड़कर सब अपने अपने घरों को चले गे थे
04:35शायद वो सब बहुत डर गए थे
04:38तोटा अपने घर में डरा हुआ बाठा था
04:41कपूतर ने तो अंदर से घर की कुंडी लगाई हुई थी
04:45और कोई बात नहीं कर रहा था
04:49अंकल मेरी मम्मा अभी तक लोट कर नहीं आई
04:53गुर्या को देखकर कवे को चुडिया के बच्चों का खियाल आता है
04:57गुर्या बेटी आपकी मम्मा को इनसान ने घाईल कर दिया था
05:02वो उन ना सकी और हम सब अपनी जान बचाकर वहाँ से भागाए
05:08शे सुनकर गुर्या रहने लग जाती है
05:11तो क्या मेरी मम्मा कभी लाट कर नहीं आएंगी
05:15मैने पीछे मढ़ कर देखा था आपकी मम्मा जीनदा थी
05:19शायद किसान इनसान उसे अपने साथ ले गया
05:23कोई पिल्ली भी थो खा सकती है मेरी मम्मा को
05:31रोती हुई गुर्या अपने घर चली जाती है
05:34उसका भाई चौटा था वो अपने भाई से बात चुपाती है
05:38गुर्या बहन कहा है मम्मा क्या बताया है कौवे अंकल ने
05:43कोई पात नहीं मम्मा बुलबुलांती के घर है
05:48उनके पांग में दर्द था वो कल सुभा आ जाएंगी
05:53छूट कौवे अंकल छूट बोल रहा है
05:57भला ऐसे भी कोई मम्मा अपने बच्चों को भूगा छोड़कर घर से बाही रह सकती है
06:03ये पक्का छूट है
06:05सारी रात बच्चे अपनी मां का इंतजार करती है
06:09और मा जिरिया भी सारी रात जाग कर गुजारती है
06:15सुभाख हो जाती है
06:17किसान का बेटा भी उठ जाता है
06:19मैं आपके पंक पर दवा लगा कर बटी बदल देता हूँ
06:23और फिर आप आहिस्ता आहिस्ता उनने की कोशिश करना
06:27चुरिया मेरे पापा बुरे नहीं है
06:30ना जाने ये सब कैसे हुआ
06:32मेरी कुलहारी कहा है
06:44मुझे मालूम है आपकी फसल इस बार खराब हो गई है
06:47मगर इसका गुसा आप हम पर तो ना उतारे
06:50आपके ममा पापा शायद आप इसमें लड़े हैं
06:54पहले तो पापा खुश खुश रहते थे
06:57मगर जब हमारी कहियों की फसल खराब हुई
07:00तो तब से पापा गुसे में रहने लगे है
07:03शायद मुख्या जी के पैसों की वज़ासे परेशान है पापा
07:07बाहिर धूप निकलाती है
07:10और चिर्या किसान के बेटे से कहती है
07:13मैं उडने की कोशिश करती हूँ
07:15मुझे जल्दी से अपने बचों के पास जाना होगा
07:18चिर्या बाहिर निकलती है और आहिस्ता आहिस्ता उड़ती है
07:23उसके पांख में दर्द तो था
07:26मगर अपने बचों के लिए एक माँ को उड़ना ही था
07:30मैं जा रही हूँ
07:31दोस्त शुक्रिया मेरा इतना ख्याल रखने के लिए
07:35किसान का बेटा अपना हाथ हिलाता है और चुरिया चली जाती है
07:41मम्मा मम्मा मेरी मम्मा आ गई
07:45गुर्या जो सारी रात जागती रही थी अभी अभी सोई थी वो भी उठ जाती है
07:52मम्मा मुझे कवे अंकल ने सब बता दिया था
07:56मेरी मम्मा बच गई
07:58हाँ बच्चो इनसान जालिम है तो रहम दिल भी
08:02जिस इनसान ने मुझे पथधर मारा तो उसी इनसान ने मेरे पंक पर पट्टी बान दी
08:07और उसके बेटे ने मेरा ख्यार रखा मुझे से बातें की
08:11चिरिया अपने बच्चों से घुल मिल जाती है
08:15दूसरे दिन चिरिया अपने बच्चों को दाना देकर अपनी सहेली मैना के पास जाती है
08:21मैना सहेली ये सोने का अंडा आप नदी में ना गिराना
08:26बलके मुझे दे दो मुझे इसकी जरूरत है
08:30शायद किसी इंसान को दोगी तुम ये अंडा
08:33मगर बच्चकर इंसान सोने के अंडे के लालिज में तुम्हे ही ना मार दे
08:38वो छोटा किसान मेरा दोस्त बन गया है
08:42चिरिया मैना से सोने का अंडा लेकर किसान के घर जाती है
08:47किसान उसकी पतनी और उनका बेटा खाना खा रहे थे
08:51दोस्त मैं आपको कुछ देने आई है
08:54चिरिया को देखकर किसान का बेटा खुश हो जाता है
08:58मेरी दोस्त चुरिया आ गई
09:01मा जी ये सोने का अंडा है
09:04आपके पती गुसे में लड़ाई करते हैं न
09:07मासूम पक्षियों पर पत्थर फैंकते हैं
09:09शायद इसे देखकर गुसा थोड़ा काम हो जाएगा
09:13चुरिया तुम बहुत यालू हो
09:15मुझे माफ कर दो
09:17मैं सच में बहुत परिशान था
09:20चुरिया मुझे बहुत खुशी हुई
09:22के आप अपने बच्चों से दुबारा मिल सकी
09:25फिर चुरिया किसान को वो सोने का अंडा देकर
09:28वापिस अपने घर चली जाती है
09:35कालू कवे सेट का आमों का एक पेड था
09:39गोरी आम पक्गे हैं
09:41मुझे दर है कि कहें कोई चोर हमारे आम ना चोरी कर लो
09:56कवा और कवि बैठें बातें करें थे
09:59कि वहाँ एक तोटा आ जाता है
10:01साहिब कई दिनों से भूका हूँ
10:05मुझे खाने को एक आम दे दो
10:07तोदे अगर तुम हमारे आम के पेड़ की रखवाली करोगे
10:11तो हर रोज तुम्हें एक आम खाने को मिला करेगा
10:15मैं तो घर से काम ठूडने ही निकला था
10:18अगर आम मुझे इस काम पर रख ले
10:32तोटा कवे और कवी के पास काम पर लग जाता है
10:38कवा और कवी अराम से अपने घड में सोते
10:42वो पके हुए आम खाते और हर रोज का एक आम तोदे को दे देते
10:48कालू जी अब आम थोड़े काम रह गए है
10:52ऐसा ना हो कि ये तोटा एक आम हम से ले जाए और दूसरा छोरी खा जाए
10:58मैं आज से हर रोज अपने पेड के आम गिन लिया करूँगा
11:03फिर कालू कवा आम गिन लगता है
11:06एक, दो, तीन, चार, पांच
11:11कालू कवा आम गिन लेता है
11:13गोरी और कालू घर चले जाते हैं
11:16और तोटा अपने काम पर आकर बैठ जाता है
11:20मम्मा मुझे बहुत भूँग लगी हुई है
11:24बेटी क्या करूँ जंगल में तो सूखा चर रहा है
11:28एक दाना भी नहीं मिला आज मुझे
11:31ठीक है मम्मा, मैं आज फिर पानी पी कर ही सो जाऊँगी
11:35एक मा अपने बचे को भूँगा कैसे देख सकती थी
11:40मम्मा चिरिया फिर से ने जोश के साथ घर से निकलती है
11:45उड़ती उड़ती मम्मा चिरिया कवे के आम के पेड़ के पास पहुँझाती है
11:51ये आम तो पके हुए है, अगर मैं एक आम ले जाओ
11:55तो मेरी बेटी पेड़ भड़ कर आम खा लेगी
11:58चिरिया ऐसा सोच कर तोदे के पास चाहती है
12:02तोदे भईया, मेरी बेटी बहुत भूँगी है, मेरी बेटी भूँग से मर जाएगी
12:08मुझे एक आम दे दो
12:10मैं यहां नाकर हूँ और ये आम का पेड़ कालू कववे का है, मैं तुम्हें आम नहीं दे सकता
12:17चिरिया बेचारी निराश होकर वापिस जाने ही वाली थी
12:22अगर आज एक आम मैं चिरिया को दे भी दू, तो कववों को कौन सा मालूम होका
12:28रुको रुको चिरिया, लो तुम ये एक आम ले जाओ और अपनी बेटी का पेड़ भरो
12:34चिरिया बहुत खुश होती है और दोदे से वो आम ले कर अपने घर चली जाती है
12:41गोरी और कालू भी अपने आमों के पेड़ के पास आ जाते है
12:47कालू कवा आते ही एक बार अपने आम गिनता है
12:51कम है, एक आम कम है. गोरी वही हुआ जिसका मुझे ढर था
12:57ये तोदा हमारे आम चुरा रहा है
13:00नहीं नहीं साहिब मैं चोर नहीं हूँ
13:04तो फिर बताओ, आम कहां गया?
13:07अगर तुमने चोरी नहीं की, तो एक आम कैसे कम हो गया पेड़ से?
13:12साहिब, एक चुरिया बहुत मजबूर थी, उसकी बेटी भोकी थी, इसलिए मैंने उसे एक आम दे दिया.
13:20मौती चौंच वाले तोते, तुम्हें इसकी सजा मिलेगी, चोरी चुरिया ने नहीं, बलके तुमने की है.
13:28मालकिन, माफ कर दे, मैं दुबारा ऐसा नहीं करूँगा.
13:33माफ ये फिर ही मिलेगी, अगर तुम किसी तरह उस चुरिया को दुबारा यहां बुलाओ, और उसे रंगे हाथों पकड़वाओ.
13:42तोता मजबूर था, इसलिए दूसरे दिन तोता जा रहा था, कि रास्ते में उसे चुरिया मिल जाती है.
13:50चुरिया चुरिया, मेरे साथ आओ, मैं तुम्हें आज फिर एक आम दूँगा.
13:55तोते भाईया, आम बहुत अच्छे है.
13:58चुरिया तोते के साथ जाती है.
14:01इस पेड़ से आप जितने चाहो, आम दोड सकती हो.
14:05कुछ सोचे बिना, चुरिया पेड़ से दो आम दोड लेती है.
14:10उपर से ही कवे आ जाती है.
14:12तो आज चूरनी पकड़ी ही गई, अब सारी उम्र तु हमारे खेत में काम करेगी.
14:19ऐसे तो नहीं जाने देंगे हम तुझे.
14:22चुरिया रोने लग जाती है.
14:25करपया करें कवे और कवी, मैंने तोड़े से पूछ कर आम लिये है.
14:30तोड़े ने मुझे आवाज दी थी.
14:33हां भी तोड़े, साच साच बताओ, क्या बात है?
14:38तोड़ा चुप रहता है, वो अपनी जान बचाने के लिए चुरिया को फंसा देता है.
14:44इसका मतलब चुरिया तुम ही चोर हो, कालू इसे रसी से बांद लो.
14:50कालू कावा चुरिया को रसी से बांद लेता है.
14:54मुझे जाने दे, मेरी बेटी घर में मेरा इंतिजार करे ही होगी.
14:59शाम होगी, मगर ममा अभी तक नहीं आई, अब तक ममा हर रोज आ जाती है.
15:15बेचारी यहां बेटी अपनी मा का इंतिजार करे ही है, और उधर कवोंने इसकी मा को बांदा हुआ है.
15:22जाते जाते, तोदा गुर्या से कहता है,
15:26तुम्हारी मा कवों के आम के पेड के पास है, वहाँ जाओ.
15:31गुर्या तोदे की बात सुनकर जल्दी से उड़ती है, और कवों के आम के पेड के पास जाती है.
15:39छौड दे, मेरी ममा को आपने रसी से क्यों बांद रखा है?
15:44यह चौडनी है, हमने इसे आम चोरी करते पकड़ा है, और एक चौडनी की यही सजा है.
15:51कवों, मुझे और मेरी बेटी को जाने दें, हम आज के बाद दुबारा यहां वापिस नहीं आएंगे.
15:58चोरी का डंड देना होगा, चुरिया, अपनी बेटी से कोहो, के हमें चोरी का डंड ला कर दे, फिर ही हम तुम्हें छोडेंगे.
16:07मेरी पेचारी चोटी सी बेटी, आपको डंड कहां से ला कर देगी?
16:12ठीक है, मैं जाती हूँ, और आपको दो आमों के पैसे ला देती हूँ.
16:17गुर्या वहाँ से उड़ती है, घर में तो कुछ था नहीं, इसलिए गुर्या उड़ती उड़ती पहाडों की तरफ निकल जाती है.
16:27गुर्या जा रही थी, क्यों उसे नदी में पानी फिलता हुआ दिखाई देता है.
16:33गुर्या नदी पर आती है, तो एक चील का चोटा सा बच्चा नदी के पानी में गिरा हुआ था.
16:40उपर सूखे पेड़ पर एक खोंसला था.
16:44ये बच्चा जरूर उपर के खोंसले से गिरा होगा, मुझे इसकी मदद करनी चाहिए.
16:51गुर्या बहुत आराम से उस चील के बच्चे को उठा कर उसके खोंसले में रख देती है.
16:57बड़ी चील भी वहाँ आ जाती है.
17:00मम्मा, आज इस चाटी सी चुरिया ने मेरी जान बचाई है.
17:06मैं खेल रहा था के नदी के पानी में गिर गिया.
17:10चुरिया, तुम बहुत अच्छी हो. तुमने मेरे बेटे की जान बचाई.
17:15आंटी चील, अब मुझे जाना होगा.
17:18मैं कुछ पैसे लाऊँगी, तो फिर ही कव्वे मेरी मम्मा को आजाद करेंगे.
17:24क्या तुम्हारी मम्मा को कव्वोंने पकड़ा हुआ है?
17:28गुरिया रॉने लग जाती है.
17:31मेरी मम्मा ने उनके पेट से तो आम दोर लिये थे.
17:35ये जंगल सबका साझा है, ना किसी कव्वे का, ना किसी चील का.
17:41तु चल मेरे साथ, मैं देखती हूँ उन दुश्ट कव्वों को.
17:46चील गुरिया के साझ जाती है.
17:49जलती से खोल दो इस चुरिया को.
17:52चील दी, चील दी, बात तो सुनो.
17:55चील एक खपड गुरी कव्वे के लगाती है.
17:59तुम ने सुना नहीं?
18:01कालू का वग देढता हुआ, जलती से चुरिया को आजाद कर देता है.
18:07चील दी, इसने चोरी की थी हमारे पेड से आमों की.
18:12चोरी तो अब होगी.
18:14मैं देखती हूँ, तुम कैसे पक्षियों को राखती हो?
18:19फिर चील सारे पक्षियों को भुलाती है.
18:22और पेड के सारे आम तोड तोड कर पक्षियों में बांट देती है.
18:27शुकर करो, मेरा मूड ठीक है.
18:30अगर मैं गुसे में होती, तो तुम्हें जान से ही मार देती.
18:34बड़े आये सेट कवे कहिंके.
18:37फिर चील कवों को वहाँ से भगा देती है.
18:41और दूसरे पक्षी खुशी खुशी आम खाते हैं.
18:45और गुढ्या चील का शुक्रिया अदा करके अपने घड चली जाती है.

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