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कार्टून चिड़िया | Episode New | Chidiya Wala Cartoon | Tuni Achi Cartoon | Hindi Kahani
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Transcript
00:00उन्हें जंगल में नदी के पास चिड़िया और मिठु दोता बैठे
00:03अपना अपना भाजन खा रहे थे
00:06चुड़िया मेरे पास लाल टमाकर है
00:08और आपको आज क्या मिला है
00:10प्यादर हुज्या मेरे पास एक कच्या आम है
00:13पतोगी ये दो मिले नहीं
00:15फिर बहुत ढोनने के बाद मुझे ये कच्या आम मिला था
00:19और मैं ये भी आम ले आई
00:21चिड़िया और दोता खा रहे थे
00:23कि थोड़ी दूर कववों का एक जोड़ा आकर बैठे जाता है
00:27उनके पास प्लास्टिक बैग में एक चीस थी
00:31कालू जल्दी जल्दी मीथी चटनी भी निकालो
00:34चुड़िया वो कववे क्या खा रहे हैं
00:37ये चीस मैंने कभी जंगल में किसी पेड़ पर लगी तो नहीं देखी
00:41बहुत अलग चीस है
00:43फिर चिड़िया और दोता उनके पास चले जाते हैं
00:47तरे भाईया ये क्या चीस है
00:49मैं बताती हूँ चुड़िया और दोते
00:51यह समोसी है यह इंसानो का भोजन है
00:54मैं और कालू अभी अभी इंसानो की बस्ती से यह समोसी चुड़ा कर लाये हैं
01:00जो बुखो सवासीत होता है
01:03वा वा मैदा ही आ गिया
01:07कालू कालू मीटी चर्नी के शाल लगा कर खाओ
01:10फिर तो और भी नजा आता है
01:12तोते से रहा नहीं जाता
01:15वो बिना पूछो ही थोड़ा सा समोसा उठाने के लिए
01:18अपना पांक आगे बढ़ाता है
01:21और गोरी कवी उसे एक लगाती है
01:24हट बीचे बराया समोसे खाने वाला
01:27शकल देखिये अपनी मौती चौंच वाला तोता
01:30तोते धया छोड़े आप
01:32हम अपना भोजन ही खाते हैं
01:34अब तोते को टमाटर बे सवाद लग रहा था
01:38उसकी नजरें तो कवी और कवे के समोसे पर ही थी
01:42कालू उठ यहां से खे मौती चौंच वाला नजर लगा देगा
01:47ऐसा नहों कि समोसा खाकर हमारे बेड में ही दर्द शुरू हो जाए
01:52दूसरे दिन कवी और कवा फिर से इंसानों की बस्ती में जाते हैं
01:58किसान के बेडे ने रो रो कर अपनी मम्मा से दास रुपे लिये थे
02:03वो दास रुपे लेकर दुकान पर जादा है
02:06अंकल अंकल मुझे दास रुपे के पापड दे दे
02:10किसान का बेडा पापड लेकर अपने घार आ जादा है
02:14उसके आंगन में एक पेड था
02:16उसी पेड के ऊपर कवे बैठे हुए थे
02:19मैं अपने पापड यहां रहकर पहले घड़े से पानी पी लेता हूँ
02:24ये सोचकर किसान का बेडा अपने पापड पेड के नीजे रहकर घड़े से पानी पीने जादा है
02:31कालू उठा उठा ले कालू मोका अच्छा है
02:36गोरी क्या पता ये कोई खाने की चीज है भी या नही
02:41ये जरूर कोई खाने की चीज ही होगी तुम जल्दी से वो चीज उठा लो
02:45फिर कालू कावा उड़ता है और किसान के बेडे के पापड उठा कर दोनों पती पतनी जंगल की तरफ भाग जाते हैं
02:56मेरे पापड, मेरे पापड वो कवे उठा कर लेगे
03:01मम्मा, मम्मा, मुझे और पैसे दो
03:07आले आज तेरा बाप, मैं उसे बताऊंगी के बंदूक ला कर रखे
03:11ये कवे तो कुछ ज्यादा ही भरते जा रहे हैं
03:15नहीं खुल रहा, गोरी, मैंने तो पूरा सोड लगा दिया, मगर ये पैकेट ने खुल रहा
03:22लाओ, मैं खॉलने की कॉशिश करती हूं
03:25फिर गोरी शैलू उस पापड के पै Acids को खॉलने की पूरी कोशिुश करती है
03:30मगर वो नहीं कर पाती
03:32कालू, एक उपाई है मेरे पास
03:35क्या? क्या गोरी? हम इसे कैसे खोल सकते हैं?
03:39तोते की चौंच बहुत एज़ है
03:42वही इसे खोल सकते है
03:44मगर वो मोटी चौंच वाला
03:46मूफ्त में इसे नहीं खोलेगा
03:48दो चार पापड उसे भी दे देंगे
03:51गोरी और कालू वो पापड लेकर तोते के पास जाते हैं
03:56मैंने अगर इसे खोला, तो मैं ठक जाओंगा
04:00तोते, चिंता ना करो, हम दो चार पापड तुम्हें दे देंगे
04:04जो खाने से तुम्हें फिर से दाकद आ जाएगी
04:07हाँ, ये ठीक है, फिर तो मैं इसे खोल सकता हूँ
04:11तोता अपनी तेज जोन से वा पैकेट बहुत आसानी से काट कर खोल देता है
04:17ये लो, ये तुम हारे हुए, खल का लो
04:21अगर दुबारा कोई ऐसी चीज खुलवानी हुई, तो सीधे मेरे पास चले आना
04:26मैं इसे सक्त चीजों को भी काट सकता हूँ, जैसे लोही का कंटेनर
04:32अच्छा, अच्छा, ठीक है
04:34बढ़हई, मुझे एक ऐसी गुलेल बना कर दो, जिसकी रबड बड़ी हो
04:39ऐसी गुलेल, जिसे मैं कौवे को गिरा सकूँ
04:42अगर तो मुझे मस्पूत रबड जैसी किसी मोटर साइकल की पुरानी ट्यूब ला दो
04:48तो मैं तुम्हें गुलेल बना कर दे सकता हूँ
04:52फिर किसान बढ़हई से मस्पूत गुलेल बनवाता है
04:57वो कौवा पिछले दिनो मेरी कैंडी छिन कर ले गया था और कल मेरे पापड
05:03मेरे बच्चे, तुम चिंता ना करो
05:05तुम्हारे पापा गे हुए हैं गुलेल बनवाने
05:08तुम्हारे पापा का निशाना ऐसा है
05:10कि वो कौवे को दूर से ही मार गिराइगा
05:12तुम भी हमारे साथ चलो बहुत मजा आएगा
05:16मगर हमें डर लग रहा है
05:18लो जी डर किस बात का हम उड़ सकते हैं
05:22इंसान उड़ तो नहीं सकता
05:24मैंने सुना है आजकल के इंसान उड़ भी सकते है
05:28ये सब बाते हैं
05:30अच्छा ठीक है तुम और चुडिया दूर बैठ जाना
05:34मैं और गोरी ही चोरी करेंगे
05:36और फिर सब मिल कर खाएंगे
05:39अगर पकड़ेगे तो हम भाग जाएंगे
05:42हम वहां नहीं रुकेंगे
05:44इंसानों का भोजन जिसके मू लग जाता है
05:47वो बार बार इंसानों की बस्ती में ही जाता है
05:51ऐसे अपनी बातें सुना सुना कर
05:54आज गोरी और कालू चुडिया और दोदे को भी अपने साथ ले जाते हैं
05:59वो सब उड़ते उड़ते इंसानों की बस्ती में पहन जाते हैं
06:04हलवाई की दूकान अभी बंद थी
06:08कवे भईया कब खुलेगी ये दूकान
06:11पहले तो अब तक खुल जाती है
06:13शायद आज कोई प्राब्लम होगी हलवाई जी को
06:16कालू जी चलो अब हम किसान के घर जाते हैं
06:20हा हा हा हा हा और और आसान शिकार किसान का बेटा
06:26आज फिर से उसी से कोई चीज चेंड लेंगे
06:30कवा और कवी उड़ते हैं
06:32चिरिया और तोदा भी उनके पीछे पीछे जाते हैं
06:36चिरिया और तोदा किसान के घर से दूर बैठ जाते हैं
06:41जबके कवा और कवी तो
06:43किसान के आंगन वाले पेड़ पर ही बैठे थे
06:47थोड़ी देर बाद किसान का बच्चा
06:49कमरे से ऐंडा फ्राई लेकर बाहर आता है
07:07गोरी कवी उड़ती है
07:08वो सीधी किसान के बच्चे की तरफ जाती है
07:12मगर आज किसान बैलकारी के पीछे चुपा हुआ था
07:16वो अपनी मस्बूत गलेल से
07:19सीधा निशाना गोरी की पूंच पर लगाता है
07:22गोरी नीचे गिर जाती है
07:25चिरिया और तोता तो
07:27जल्दी से जंगल की तरफ भाग जाते है
07:30किसान डंडा लेकर
07:32गोरी कवी की तरफ भागता है
07:35जैसे तैसे गोरी उड़ती है
07:38और किसान के घर से थोड़ी दूर जाकर
07:41फिर से गिर जाती है
07:43गोरी उठो उठो गोरी
07:46ये क्या हो गया
07:47ऐसा तो हमने सोचा भी ना था
07:52अब दुबारा ये कवी हमारे घर में नहीं आईगी
07:56कालूर चिरिया और दोते को बुलाओ
07:59वो कहा है
08:01चिरिया और दोता भी पीछे मुढ कर
08:04वहाँ आ जाते हैं
08:06गोरी गोरी तुम्हारी पूच से खून बह रहा है
08:10इसे उठाकर किसी तरह घर तक भुँचाने में
08:14मेरी मदद करो
08:16फिर वो सब गोरी कवी को उठाकर उसके घर पहुंचाते हैं
08:21ऐसा इनसानों का भोजन खाने से तो हम दूर ही अच्छे
08:25चिरिया क्या मेरी पूच ठीक हो जाएगी
08:29गोरी तुम बिना पूच के भी संदर दिखती हो
08:33गोरी घूर कर कालू की तरफ देखती है
08:37और कालू दूर हट जाता है
08:46चिरिया और कवा जंगल में उंची उडान लेते हैं
08:50काफी देर उडने के बाद भी दोनों को दाना नहीं मिलता
08:54और वो ठक कर एक पेड़ पर बैठ जाती है
08:58कालू, अब हमें घने जंगल में नीचे जाना होगा
09:03गहने जंगल में मुझे कांटों से बहुत डर लगता है
09:08मन्जल को पाने के लिए काणटों से तो तकराना ही होता है
09:12दोनों चिरिया और कवा घने जंगल में आ जाते है
09:17वहाँ दू रासते थे
09:18एक रास्ता पत्तों बाले पेड़ओं का
09:21और दूसरा रासता कांटेंदार पेड्रऋंका
09:25जलती से कववा चुढिय़ा से कहता है
09:27मैं तो इसी रासते से जाऊंगा
09:30ये रासिम मेरा है
09:32कववे भृया
09:33दूसे रासते में कांटेंदार पेड़ हैं
09:36हम दोनों एक ही रास्ते में चले जाते हैं
09:39नहीं, अगर दो रास्तों से जाएंगे
09:42तो दाना ज्यादा मिल सकता है
09:44इसलिए तुम कांटेधार पेडों की तरफ से जाओ
09:47और मैं इधर से जाता हूँ
09:50फिर चिर्या कववे की बात मान लेती है
09:53और कांटेधार पेडों के बीच में से उडती है
09:57हर तरफ कांटे ही खांटे थे
09:59चीर्या को उन पेडऋं में से उनना बहुत मुश्चिए लग रहा था
10:04मगड चिर्या की लगन सची थी
10:06उसका विशवास था, कि जो जितनी मेहनत करता है
10:10उसे उतना ही मेहनत का फल मिलता है
10:13कवा तो साफ और पतों वाले पेडों में से होता हुआ
10:17आसानी से उड़ता जा रहा था
10:21चिर्या के पांख पर केई कांटे चुब जाते हैं
10:24मगर चुरिया हिम्मत नहीं हारती
10:27वो उड़ती रहती है
10:29और आखिर चुरिया उन कांटे दार पेडों से गुजर जाती है
10:33उसे अभी तक दाना तो नहीं मिला था
10:36मगर वो घने जंगल से उस पार पहुंझाती है
10:40दोनों रास्ते एक ही जगा पर मिलते थे
10:43इसलिए कवा चुरिया से पहले ही वहां पहुँझ गया था
10:47बहुत मुझकी रास्ता था
10:49मगर मुझे कुछ नहीं मिला
10:51कवए क्या आपको कुछ मिला है
10:53नहीं मेरा रास्ता तो बहुत असान था
10:57मगर खाने को मुझे भी कुछ नहीं मिला
11:00वहां दो पेड थे
11:02एक प्रेड् हरा भरा और दूस्रा प्रेड सूखा हुआ था
11:06सूखा प्रेड उनसे कहता है
11:09मेरी जड़ों में खसाणा है
11:11तूम मेरी जड़ोंसे सोने का सिक्का ले सकते हो
11:15चिडिया और कववा सुन कर हैरान उठे हैं
11:18कभी दूसरा प्रेड बोलता है
11:21नही नही ये तो सूखहुम पेडր है
11:24इसकी जड़ों में क्या होगा
11:25कजाना तो मेरी जड़ों में है
11:28मेरी जड़ों में भेर-साड़े साने के सिक्के है.
11:32चुड़िया चुड़िया
11:32ये हरा-भरा पेडऀ ही सच्चा है
11:35क्यूंके एक सूखा पेड किसी को क्या दे सकता है
11:39तो हम इस पेड की जड़ों से ही खजाना निकाल लेते हैं
11:43नहीं नहीं चुड़िया ये हरा भरा पेड तो मेरा है
11:47और ये सूखा पेड तुम ले लो
11:49मेरे पेड की जड़ों से जो निकला वो मेरा
11:52चुड़िया मेहनत पर विश्वास रखती थी
11:55वो कभी लालज नहीं करती थी
11:58इसलिए चुड़िया मान जाती है
12:01कव़ा हरे भरे पेड की जड़ों की खोज करता है
12:05और उसे वहां से दो लोहे के सिक्के मिलते हैं
12:09चुड़िया चुड़िया मैं भूल गया
12:11मैने तो सूखा पेड ले ना था
12:14इसलिए तुम मुझे ये सोने का सिक्का देकर
12:17ये लोहे के सिक्के ले लो
12:19मगर फैसला तुम ने किया था
12:22मेरी जबाण फिसल गई थी
12:24चुड़िया चुड़िया, मैं भूल गया, मैंने तो सूखा पेड़ लेना था
12:29इसलिए तुम मुझे ये सोने का सिक्का देकर ये लोहे के सिक्के ले लो
12:34मगर फैसला तुमने किया था
12:36मेरी जबान फिसल गई थी, उल्ट बात हो गई
12:40इसलिए अब मुझे ख्याल आया कि सूखा पेड़ ही मेरा है
12:44चुड़िया फिर भी मान जाती है
12:47चुड़िया कालु कवे को सोने का सिक्का देकर लोहे के दो सिक्के ले लेती है
12:53चुड़िया और कवा अपने-अपने सिक्के थैलों में डाल लेते हैं
12:57और वापिस उरते हैं
12:59अब वो उंचाई में उनने का फैसला करते हैं
13:03थोड़ी दूर एक बड़े पेड़ पर एक बुढ़ी फाखता बैठी हुई थी
13:08कवे कवे मैं भूखी हूँ मुझे खाना दो
13:13मैं भी भूखा हूँ मुझे गोहर जल्दी है
13:17मुझे अपना सोने का सिका बेज़ कर अमीर बनना है
13:21मैं नहीं रुक सकता
13:23कवा वहाँ से चला जाता है
13:25पीछे ही चिरिया वहाँ आ जाती है
13:28और बुढ़ी फाखता चिरिया से कहती है
13:31बेटी मैं भूखी हूँ
13:34मुझे खाना दो
13:36मैं भूख से मर रही हूँ
13:38मा जी मेरे पास ज़्यादा कुछ तो नहीं है
13:41मगर मेरे पास दो लोहे के सिके है
13:44शायद इन से मैं आपके लिए खाना ले सकोंगी
13:47जंगल के पास वाले बजार में जाती है
13:50पक्षी पक्षी ये ले लोहे का सिका
13:53और मुझे खाना दे दे
13:56थीख है आप दे दे
13:58मुझे एक पक्षी के लिए ही खाना लेकर जाना है
14:01छिड़्या बुर्ही फाँकता के लिए खाना लेती है
14:04और वापिस जाती है
14:06ले मा जी आप ये खाना खाईये
14:09बेटी मुझे तुम भी भूखी लग रही हो
14:13बेटी मुझे तुम भी भूगी लग रही हो, तुम भी थोड़ा खाना खालो
14:18माजी ये खाना एक पक्षी के लिए ही है, मेरे पास एक लोहे का सिक्का और है
14:24मैं उससे अपने बच्चों और अपने लिए खाना ले लूँगी
14:27चिड़िया वहाँ से चली जाती है
14:30थोड़ी दूर एक गहौंसले में बिमार बुल-बुल बैठी हुई थी
14:35कवे-कवे, मैं बिमार हूँ, मुझे दबा ला दो, मेरे पास दबा के पैसे नहीं है
14:43मुझे सोने का सिक्का क्या मिल गया, सब मेरे पीछे ही पढ़ गे है
14:48नहीं नहीं, मेरे पास टाइम नहीं है
14:50मुझे जाकर अपना सोणे का सिका बेचकर अमीर पकशी बनना है
14:55कवा बुल-बुल की बात सुने बिना ही वहाँ से चला जाता है
15:00सोने का सिकका भी है इसके पास, फिर भी गरीबों की मदद नहीं करता
15:06ये कव बहुत लालची और बुरा पक्षी है
15:10थोड़ी देर बाद चिरिया वहाँ आ जाती है
15:13और बिमार बुल बुल चिरिया से भी वही बात कहती है
15:17चिरिया चिरिया मैं बहुत बिमार हूं
15:20मेरे पास दवा लेने के लिए पैसे नहीं है
15:24मुझे दवा ला दो
15:26बुल बुल मेरे पास केवल एक ही सिका बज़ा है
15:29और वो भी लोहे का
15:31मैं इस लोहे के सिके को बेच कर तुम्हे दवा ला देती हूं
15:36फिर चिरिया जंगल की चील डॉक्टर के पास जाती है
15:40चील डॉक्टर बुल बुल बिमार है
15:42उसके लिए दवा दे दे
15:44और मेरा ये लोहे का सिका आप ले ले
15:46हाँ मैं लोहे के इस सिके के बदले तुम्हे दवा दे सकती हूं
15:51चील चिरिया का वो लोहे का सिका रख लेती है
15:54और चिरिया को बुल बुल के लिए दवा दे देती है
15:58चिरिया वो दवा लेकर बुल बुल के पास चाती है
16:02और उसे दवा दे देती है
16:04अब चिरिया को बहुत चलदी थी
16:07वो तेजी से उड़ती है अपने घार आ जाती है
16:11गोरी गोरी, देखो देखो, मुझे क्या मिला है?
16:16कालू, मेरे सुन्दर पती जी, क्या मिला है तुम्हे?
16:20मुझे एक सोने का सिका मिला है
16:24कालू चल्दि से अपनी ठेली से वो सिक्का
16:27निकालता है तो हैराण हो जाता हے
16:30बागल कववे ! ये सोने का नहीं , बल्के
16:33लोहे का सीक्का है
16:34तुम क्या जानों ? सोना क्या होता है
16:38ये सोने का सिक्का था
16:39मैंने खुद अपनी थैली में डाला था
16:42शायद मेरे लालच की वज़ासे
16:45ये लोहे का सिक्का बन गिया।
16:48चिड़िया घर जाकर
16:50जब खाली थैली दूसरी तरफ फैंकती है
16:53तो उसे कोई आवाज सुनाई दे दी है
16:56मैंने दोनों सिक्के दे दिये
16:58फिर इसमें क्या है?
17:00चिड़िया जल्दी से वो थैली खोलती है
17:03तो उसमें दो सोने के सिक्के थे
17:06जिनहें देखकर चिड़िया को तो
17:08अपनी आखोंपर विश्वास ही नहीं हो रहा था
17:11मगर चिड़िया जानती थी
17:13के महनत और नेकी का सिला जरूर मिलता है
17:17इसलिए वो खुश हो जाती है
17:20और महनत पर उसका विश्वास और भी भड़ जाता है

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