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चंपई सोरेन सोशल मीडिया प्लेटफॉर्म एक्स पर किए गए एक भावुक पोस्ट पर प्रतिक्रिया देते हुए झारखंड बीजेपी के प्रवक्ता प्रतुल सहदेव ने कहा कि इससे ये स्पष्ट हो गया कि झारखंड मुक्ति मोर्चा में किस तरह से जो परिवार के बाहर के आदिवासी नेता हैं उनका किस तरह अपमान किया जाता है। वो चाहें मुख्यमंत्री ही क्यों न हो उनका किस तरह तिरस्कार किया जाता है। ये कौन सा संवैधानिक पद ऐसा हो गया जो मुख्यमंत्री से भी बड़ा हो गया। विधायक दल की बैठक में उनसे जबरदस्ती इस्तीफा ले लिया गया। आप सोच सकते हैं कि किस तरह की तानाशाही प्रवृत्ति झारखंड मुक्ति मोर्चा में है। एक आदिवासी के बेटे को इन लोगों ने किस तरह से तिरस्कृत और अपमानित किया। सत्ता पाने के लिए इन्होंने सारे सीमाएं तोड़ दी हैं।

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00:00परिवार के बाहर के आदीवासी नेटा हैं, वो चाहिए मुख्यमंतरी ही क्यों ना हो, उनका किस तरीके से तेरसकार और अपमान किया जाता है।
00:13चंपई सुरेन ने बिलकुल दिल को चु देने वाला एक भावुग पोस्ट किया है, कि जब हेमन सुरेन जेल से बाहर निकल कर आयें, उसके बाद कुछी समय के बाद उनको कहा गया है कि अब आप मुख्यमंतरी रहते, कोई कारिकरम में हिस्सा नहीं लेंगे।
00:25तो यह कौन सा समयधानीक पद ऐसा हो गया, जो मुख्यमंतरी से भी बड़ा है, जो मुख्यमंतरी को कह रहा है आप हिस्सा नहीं लेंगे। उन्होंने कहा कि विदाईक दल की बैठक बुलाई की सुचना मुझे दी गई, जब कि मैं विदाईक दल का लेता था, मेरा काम थ
00:55अगर तो परिवार नहीं आता है, शरम करनी चाहिए ज्हारखंड मुक्ति मोर्चा को, सिर्फ सत्ता पाने के लिए उन्होंने सारी सीमाएं तोड़ दी हैं
01:03और चंपाई सुरे ने कहा कि अब उनके सारे विकर्ब खुले हैं, दल में भी जा सकते हैं, अपनी पाटी भी बना सकते हैं, सन्याज भी ले सकते हैं, लेकिन हम तो उनसे अपिल करेंगे कि उनका एक लंबा सारजनिक अनुभव है, तो इस अनुभव का लाब जन्दको मिल

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